यूं तो साबूदाना की कोई भी रेसिपी दूंगी मेरे पाठक गणों में से कोई न कोई इस बात के लिए आपत्ति ज़रूर जताएगा कि यह फलाहारी है ही नहीं, और इसको बनाने की विधि भी बहुत बुरी है.
लेकिन फिर भी कुछ चीज़ें हमारे खाने पीने की चीज़ों में इतनी घुलमिल गयी हैं कि उसे अब निकालना नामुमकिन सा लगता है.
यूं तो साबूदाना अपने आप में कब्जियत करनेवाला खाद्य पदार्थ है. इसलिए इसका उपयोग कम से कम किया जाना चाहिए, और उपवास में तो बिलकुल ही नहीं खाना चाहिए.
लेकिन बिना व्रत के भी कभी-कभी साबूदाना खिचड़ी खाई जाए तो उसका अपना ही मज़ा है, क्योंकि उसमें आप सेंधा नमक की जगह साधारण नमक डाल सकते हैं. और उसे और चटपटा बनाने के लिए डाले जा सकते हैं टमाटर.
हाँ ये बात अलग है कि जिसने इंदौर के सराफे की साबूदाने की खिचड़ी खा ली उसे फिर कहीं और इसका स्वाद नहीं भाएगा. ना सिर्फ उसका स्वाद बल्कि सर्व करने का तरीका भी बहुत सुन्दर होता है जिसे देखकर ही मुंह में पानी आ जाए.
रेसिपी लगभग हर जगह एक सी होती है लेकिन शायद शहर का पानी और बनाने वाले के हाथ का जादू अलग होता है.
इंदौर में स्ट्रीट चाट के रूप में मिलने वाली साबूदाना खिचड़ी बड़े से भगोने में भाप में पकाई जाती है. और उस पर सर्व करते समय अलग से मसाला नीबू और स्वादिष्ट फलाहारी मिक्सचर छिड़का जाता है. इंदौर के फलाहारी मिक्सचर का स्वाद भी आपको इंदौर के अलावा और कहीं नहीं मिलेगा.
खैर इंदौर के खाने की तारीफ़ बहुत हुई, अभी तो आप घर पर ही बनाइये टमाटर वाली साबूदाना खिचड़ी.
इसके लिए सबसे पहले एक कटोरी साबूदाने तीन चार घंटे पहले ही भिगो दें.
फिर एक कढ़ाई में दो बड़े चम्मच तेल गरम कर उसमें जीरा, हरी मिर्च और कढ़ी पत्ता से तड़का लगाएं.
अब इसमें दो मध्यम आकार के टमाटर बारीक काट कर पका लें.
भीगे हुए साबूदानों में पानी बिलकुल नहीं होना चाहिए. इसमें एक कटोरी भूंजे मूंगफली दानों को बारीक पीसकर, स्वाद अनुसार नमक डालकर अच्छे से मिक्स कर दें.
अब इसे कढ़ाई में पक रहे टमाटर के ऊपर डालकर अच्छे से मिला लें.
एक चम्मच शक्कर डालें और हिलाकर कम आंच पर पकने तक ढांक दें.
लीजिये तैयार है आपकी खिचड़ी, इसे एक प्लेट में निकालकर ऊपर से नीबू, हरा धनिया और चाहे तो फलाहारी मिक्सचर डाल कर गरमा गरम खाएं.