क्या हो शिक्षा का उद्देश्य और कैसी हो शिक्षा प्रणाली?

उद्देश्य को निर्धारित किये बिना शिक्षा कैसे दे सकते हैं इसका सटीक उदाहरण है भारत की शिक्षा प्रणाली

1- पहला उद्देश्य है अक्षर ज्ञान, इसके लिए नर्सरी से 5 तक का समय बहुत है, इन क्लास में अक्षर ज्ञान, हिंदी, इंग्लिश और एक मातृभाषा अनिवार्य हो. किताबों में सिर्फ भारत का बेसिक इतिहास जो अमर चित्र कथा वाली कॉमिक्स की तरह दिलचस्प तरीके से पढ़ाया जाए.

हमारा सौर मंडल, उसके पार्ट, भारत का नक्शा, जिसको बनाना सीखना अनिवार्य हो, और जिस प्रदेश में रहते हैं उसका नक्शा भी, भारत के मौसम, जोड़ना घटाना, गुणा, भाग, सड़क पर बाएं चलते हैं, बेसिक ट्रैफिक रूल्स, कंप्यूटर का बेसिक उपयोग, बेसिक विज्ञान आदि.

2- क्लास 6 से 8 में कम्प्यूटर की एडवांस क्लास, नागरिक अधिकार और कर्तव्य, नैतिक और सामाजिक शिक्षा, गणित और भाषा की एडवांस क्लास, दुनिया के देश और रहन सहन, अलग अलग जगह तापमान और उसके कारण, पेड़ो की उपयोगिता और लगाने की प्रेरणा आदि….

3- क्लास 9 और 10 यहां विज्ञान के साथ आर्ट्स और कॉमर्स की शिक्षा सबको, क्योंकि यहीं से आगे की जिंदगी का आधार तय होना है, होम वर्क कम और प्रेक्टिकल ज्यादा, विषय तो वही रहेंगे पर सीखने की प्रवत्ति जितनी ज्यादा विकसित कर सकें ऐसा पाठ्यक्रम.

4-11 वीं और 12 वीं के लिए स्कूल की अनिवार्यता खत्म की जाए, जिसकी मर्जी हो वो स्कूल जाए, जिसकी न हो वो चाहे घर में पढ़े या कोचिंग में, हर 6 महीने में ओपन पेपर, 2 सेमेस्टर 11 वीं के, 2 सेमेस्टर 12 वीं के, कोई हो होशियार तो एक साथ 4 पेपर दे और 6 महीने में निकाल ले 12 वी तो अलाउड हो…..

नर्सरी से 12 वीं तक गरीब बच्चों को, चाहे किसी भी जाति के हों, फीस, ड्रेस, खाना फ्री होनी चाहिए, इंटर नेट पर सारा पाठ्यक्रम उपलब्ध होना चाहिए, NCERT पर बेस कोई किताब चाहे खरीदे या डाऊनलोड करे उसकी मर्जी.

इसके बाद मेडिकल, इंजीनियरिंग, ह्यूमैनिटी आदि के लिए कोमन एंट्रेंस टेस्ट जिसमें 12वीं के नम्बर का कोई रोल न हो, न ही कोई आरक्षण, जो पास करे वो जोइन करे.

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