डिग्रियों से नहीं नापी जाती वास्तविक शिक्षा

पढ़ाई, अंक, रोजगार और शिक्षा के चौराहे पर चल रही बहस पर मेरे दो कौड़ी के दो बोल…

मेरा बेटा बारहवीं में पढ़ता है. साथ में वह सप्ताह में एक दिन कुछ घंटे मैथमेटिक्स पढ़ाता है. शौकिया, पर इसी के उसे महीने में करीब तीन साढ़े तीन सौ पाउंड मिल जाते हैं.

कभी भी उसके एकाउंट में मुझसे ज्यादा ही पैसे होते हैं, हालांकि उसे वह छूता भी नहीं है. उसे पैसे से कुछ लेना देना नहीं होता… पढ़ाने में अच्छा लगता है इसलिए पढ़ाता है.

फिर भी हिसाब लगाता हूँ तो अगर वह फुल टाइम, सप्ताह में पाँच-छह दिन यानी मेरे बराबर काम करता तो लगभग मेरे बराबर ही कमा लेता. और अगर अगले दो साल पढ़ाता रहा तो संभव है कि उसे वहीं पार्टनर बना लें…

तो अगर शिक्षा का अर्थ रोजगार होता है तो संभवतः उसकी शिक्षा काम भर हो चुकी है… पर क्या यही अंत है?

क्या उसे और पढ़ाई करने की जरूरत नहीं है, और कोई एम्बिशन पालने की जरूरत नहीं है? उसे सिर्फ रोजगार भर शिक्षा देना उसकी प्रतिभा के साथ न्याय होगा क्या?

वहीं दूसरा पक्ष…

पिछले सप्ताह क्रोयडन में चलते हुए एक दुकान पर नज़र पड़ी. नाई की दुकान थी, उसका साइन बोर्ड भी तमिल में था. दुकान के अंदर की बड़ी सी दीवार बहुत आकर्षक स्केच से सजी थी.

सामान्यतः नाई की दुकान पर सिनेमा के हीरो हीरोइन, फुटबॉलर और सेलिब्रिटीज़ के पोस्टर लगे होते हैं.

इस दुकान में बहुत ही सुंदर स्केच हैं विवेकानंद के, डॉ सी वी रमन और रामानुजम के, मीनाक्षीपुरम के मंदिर का, जल्लीकट्टू और कलारिपट्टू जैसे लोक कलाओं और सांस्कृतिक अनुष्ठानों का चित्रण था…

नहीं, वहाँ भारत दैट इज़ इंडिया के सेक्युलर पक्षों का चित्रण नहीं था, ना ही शुद्ध विभाजनकारी द्रविड़ सेंटीमेंट्स का प्रदर्शन था, नहीं तो स्वामी विवेकानंद वहाँ स्थान नहीं पाते. वह हिन्दू संस्कृति की स्पष्ट गर्वोक्ति थी जो अपने तमिल गौरव के साथ प्रकट हुई थी…

पता नहीं, वह नाई कितना पढ़ा-लिखा है… बात नहीं हो पाई. पर जितना भी पढ़ा है, उसकी शिक्षा पूर्ण है.

ना तो उसे इतना पढ़ा-लिखा दिया गया जहां वह अपने परंपरागत पेशे पर शर्मिंदा होकर अपने कौशल को छोड़ दे, ना ही उसके दिमाग में इतना सेक्युलर लिबरल बुद्धिजीवी कीड़ा जाग गया था जब उसे अपने अतीत से घृणा, वितृष्णा, और अपराधबोध हो जाये…

ना ही वह इतना अशिक्षित है कि उसे अपने गौरवशाली अतीत और उसके उद्गम स्रोत का कोई बोध ही नहीं हो…

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