दो दिन से सोच रही हूँ कि रामपुर वाले लड़कों ने क्या सोच कर वीडियो बनाया और उसको फेसबुक पर अपलोड किया?
उन लोगों को देश-प्रदेश के किसी कानून के बारे में या सरकार की मंशा के बारे में थोड़ी भी जानकारी नहीं है?
योगी सरकार के आने के बाद से एंटी रोमियो स्कवायड काम कर रहा है… इसकी जानकारी नहीं है या उसकी परवाह नहीं है?
लड़की को छेड़ते हुए वीडियो बना कर फेसबुक पर अपलोड करने के पीछे की मानसिकता थी…. स्वयं की तारीफ़ और लड़की को बदनाम करना?
जिस काम को वो लड़के अपनी बहादुरी मान रहे थे वो अनैतिक और गैरकानूनी है, क्या इसका भान उनको नहीं था?
नैतिकता की उम्मीद उस कौम से नहीं की जा सकती है पर कानून का भी डर इस उम्र से ही उनके मन में नहीं होना भविष्य के लिए भयानक है.
देश का कानून भी ऐसा है कि बड़े से बड़े अपराध पर भी नाबालिग के नाम पर रियायत दे देता है.
ऐसे में कानून का डर होगा भी क्यों, जब पता है कि सज़ा की जगह सिलाई मशीन का पुरस्कार मिलेगा.
कहने को नाबालिग हैं पर काम तो बालिग वाले कर रहे हैं… सज़ा का निर्धारण भी उसके अनुसार ही होना चाहिए.
कानूनविद भी लकीर के फ़क़ीर ही हैं और विधि मंत्रालय के काम करने की गति तो कछुए से प्रतियोगिता ही कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट में जितनी फटकार इनको लगती है उतनी किसी और को लगी होती तो वो कब का सुधर गया होता….
सुस्त पुलिस, लचर कानून, नैतिक मूल्यों से रहित समाज और संवेदनहीन नेता वाले देश में रामपुर जैसे काण्ड नहीं होंगे तो आश्चर्य होगा.
समय रहते नहीं चेते तो इससे भी ज्यादा भयंकर स्थिति देखने को मिलेगी…
जैसे केरल के हिन्दू, वामपंथ और काँग्रेस को पोषित करते रहे, उसके कुकृत्यों को अनदेखा करते रहे…
परिणामस्वरूप आज उनका मनोबल इतना बढ़ गया कि बीच सड़क पर गौ वध करके लाइव दिखा कर बीफ पार्टी करने में झिझक नहीं हुई.
कल ऐसा ही कुछ रामपुर जैसे इलाकों में देखने के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि हम सेक्युलर हैं.