अपने पिछले लेख में ब्रह्मचारी अर्थात ब्रह्मा सी चर्या वाले व्यक्ति माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बात की थी. उस लेख में कहीं भी मैंने उनकी तुलना ब्रह्मा से नहीं की, लेकिन हाँ जो भी चेतना उस ब्रह्म के बताये रास्ते पर चल पड़ती है उसकी रक्षा और मार्ग दर्शन के लिए स्वयं ब्रह्मा भी उपस्थित हो जाते हैं.
फिर वो व्यक्ति कभी अपने मार्ग से विचलित नहीं होता, अपने शत्रुओं का नाश करता हुआ वो आगे बढ़ता ही रहता है. ऐसे ही व्यक्ति को अरिहंत कहते हैं.
‘नमो अरिहंताणं’ का अर्थ वैसे तो सभी जानते हैं, अरि यानी शत्रु और हंताणं यानी जिसने उनका हनन किया है, तो जो शत्रु का नाश करते हैं उनको हम नमस्कार करते हैं.
जिसने क्रोध-मान-माया-लोभ-राग-द्वेष रूपी सारे दुश्मनों का नाश किया है, वे अरिहंत कहलाते हैं. दुश्मनों का नाश करने से लेकर पूर्णाहुति होने तक अरिहंत कहलाते हैं. वे अरिहंत फिर चाहे किसी भी धर्म के हों, इस ब्रह्मांड में चाहे कहीं भी हों, हम उन्हें नमस्कार करते हैं.
तो जिस व्यक्ति ने क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष रूपी सारे शत्रुओं का नाश कर दिया हो, और आतंरिक रूप से जो स्थितप्रज्ञ हो, उस पर आप इन बाहरी घटनाओं के प्रहार कर कायराना तरीकों से आक्रमण करके हरा सकेंगे?
नहीं, कदापि नहीं, आपको लगता है उसके शासन काल में आप गाय को मारकर खाएंगे और वो अपने सनातन धर्म और हिन्दुत्व की रक्षा के लिए तत्पर हो, प्रतिउत्तर में आप पर हमला कर देगा?
आपको लगता है आप दलितों के प्रति झूठी सहानुभूति दिखाने के चक्कर में उसके पूजनीय देवी देवताओं पर थूकेंगे उन्हें अपमानित करते हुए उन पर जूते बरसाएंगे और वो अपनी हिन्दू सवर्ण सेना बनाकर अपने ही लोगों को जाति धर्म के आधार पर बाँट देगा और सनातन हिन्दू धर्म के मुख्य सिद्धांत “वसुधैव कुटुम्बकम” की धज्जियां उड़ा देगा?
आपको लगता है छेड़छाड़ की घटनाओं पर वीडियो बनाकर आप उसके शासन काल में गिरते सामाजिक स्तर की दुहाई देकर उसके शासन में आने से पहले हुए राष्ट्रीय पतन के कारणों को छुपा सकेंगे?
आपको लगता है पूर्व के शासकों के कुकर्मों, काल और परिस्थितिजन्य छोटी मोटी कमियों को रोड़ा बनाकर, विकास के पथ पर उसके द्वारा किये जा रहे वृहद कार्यों को आप रोक सकेंगे?
तो मैं आपको एक बार फिर यही कहूंगी राष्ट्र की भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का समय और उस समय के नेतृत्व के लिए चुने गए नेता नरेन्द्र मोदी के चारों ओर एक प्रकृति प्रदत्त सुरक्षाकवच है, जिस पर आपके ये छोटे मोटे तीर तो तिनके के समान टकराकर स्वयं ही अपनी गति को प्राप्त कर जाते हैं.
और जब प्रकृति स्वयं अपना उत्तराधिकारी चुनती है, तो छोटे मोटे क्या बड़े शत्रुओं से भी उसको कोई खतरा नहीं होता. और प्रकृति उसी को चुनती है जो बाहरी आक्रमणों से विचलित हुए बिना उसे सौंपी गयी ज़िम्मेदारी को पूरा करते हुए बस आगे की ओर दृष्टि रखें.
और इसके लिए हमारा क्या योगदान होना चाहिए? हमें त्वरित प्रतिक्रिया के लिए रचे गए हर स्वांग को ध्वस्त करना है, जिसके लिए असीम धैर्य की आवश्यकता है. आवश्यकता तो बौद्धिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक चिंतन की भी है, लेकिन प्रारम्भ हम धैर्य से कर सकते हैं. और हाँ धैर्य का अर्थ हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहना नहीं होता. धैर्य का अर्थ होता है आने वाले हर क्षण में गुंथी अधीरता रूपी नकारात्मकता को सकारात्मक आभामंडल में प्रवेश से रोकना.
इसीलिए अपने छोटे बड़े सभी शत्रुओं का नाश करते हुए पूर्णाहुति के लिए विकास के पथ पर गतिमान इस व्यक्ति को हम अपनी पूर्ण आस्था और सहयोग के साथ प्रणाम करते हैं… नमो अरिहंताणं!
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