तुम ‘उज्मा’ सी देश की बेटी, मैं ‘साध्वी प्रज्ञा’ सा शोषित हूँ

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तुम “उज्मा” सी देश की बेटी
मैं साध्वी प्रज्ञा सा शोषित हूं ।

तुम “सुज्मा” स्वराज की मेहरबानी
मैं कश्मीरी पंडित कुपोषित हूं ।

तुम मोस्ट फेवर्ड नेशन के दर्जे सी
मैं सेना की बर्बरता घोषित हूं ।

तुम रसिया रसिक रसमिजाज गांधी
मै नाथूराम “हत्यारा” परिभाषित हूं ।

तुम पीडीपी भाजपा गठबंधन सी
मैं दयाशंकर सा निष्कासित हूं ।

तुम “उज्मा” सी देश की बेटी
मैं साध्वी प्रज्ञा सा शोषित हूं ।

– सूरज उपाध्याय

 

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हे भारत के राम जगो मै तुम्हे जगाने आया हूँ,
और सौ धर्मो का धर्म एक बलिदान बताने आया हूँ !

सुनो हिमालय कैद हुआ है दुश्मन की जंजीरों में,
आज बतादो कितना पानी है भारत के वीरों में |
खड़ी शत्रु की फौज द्वार पर आज तुम्हे ललकार रही
सोए सिंह जगो भारत के, माता तुम्हें पुकार रही |

रण की भेरी बज रही, उठो मोह निंद्रा त्यागो!
पहला शीष चढाने वाले माँ के वीर पुत्र जागो!
बलिदानों के वज्रदंड पर देशभक्त की ध्वजा जगे
रण के कंकर पैने हैं, वे राष्ट्रहित की ध्वजा जगे
अग्निपथ के पंथी जागो शीष हथेली पर रखकर,
और जागो रक्त के भक्त लाडलों, जागो सिर के सौदागर |… लिंक पर पूरी कविता पढ़ें

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