नई दिल्ली. दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल पर नए आरोप जड़े हैं. मिश्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्वास्थ्य विभाग में 300 करोड़ के घोटाले समेत तीन बड़े आरोप लगाए हैं.
उन्होंने कहा है, ‘दवा खरीद, एम्बुलेंस खरीद और ट्रांसफर पोस्टिंग में पैसे का फायदा पहुंचाया गया है और इसका सीधा फायदा अरविंद केजरीवाल, मंत्री सत्येन्द्र जैन और स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक तरुण सीम को पहुंचा है.’
कपिल ने सतेन्द्र जैन पर तीन बड़े घोटाले के आरोप लगाए. वहीं सतेन्द्र जैन पर ट्रांसफर पॉलिसी में भी घोटाले का आरोप लगाया है. आज शनिवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान कपिल मिश्रा ने ये आरोप लगाए.
आम आदमी पार्टी के बागी कपिल मिश्रा का आरोप है कि दिल्ली के अस्पतालों में 300 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है.
इतना ही नहीं मरीजों के लिए खरीदी गईं एम्बुलेंस में भी फर्जीवाड़ा हुआ है. तय से अधिक कीमत देकर एम्बुलेंस खरीदी गई हैं. दवाइयों की खरीद में भी करोड़ों के घोटाले का आरोप लगाया है.
उनका आरोप है कि इन सभी घोटालों की जानकारी मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को भी है. लेकिन वो अपने मंत्री को बचा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए ये भी कहा कि सतेन्द्र जैन ने ट्रांसफर कार्य में दखल देते हुए कई घोटाले किए हैं.
कपिल मिश्रा ने बताया कि दवाइयों और एंबुलेंस की खरीद के साथ अधिकारियों के तबादले में भी घोटाला किया गया, जो दवाएं अस्पतालों में भेजनी चाहिए थी, वो गोदामों में सड़ रही हैं. तरुण सीम को 100 करोड़ की दवाई खरीदने की छूट दी गई.
कपिल ने केजरीवाल, तरुण सीम और सत्येंद्र जैन पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग में नियम-कानून तोड़कर 30 एमएस की नियुक्ति सत्येंद्र जैन ने की और जूनियरों को एमएस का पद दिया गया. इन मामलों में एलजी के सीधे हस्तक्षेप की जरूरत है.
मिश्रा ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की किल्लत के पीछे घोटाले की आशंका जताई थी. राजधानी के अस्पताल पिछले कई दिनों से इस कमी से जूझ रहे हैं.
मिश्रा ने कहा कि आम आदमी पार्टी के भीतर जानबूझ कर सत्येंद्र जैन के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है ताकि केजरीवाल को आरोपों से बचाया जा सके.
उनका दावा था कि सरकारी अस्पतालों में जरूरत से ज्यादा दवाइयां खरीदे जाने के बावजूद मरीजों को किल्लत महसूस हो रही है.
मिश्रा ने कहा कि दिल्ली के हॉस्पिटल में 70 फीसदी जरूरी दवाईयों की आवश्यकता है. इनमें जीवन बचाने वाली और अन्य महत्वपूर्ण दवाएं शामिल हैं.
इन हॉस्पिटलों में सिर्फ 50 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन हॉस्पिटलों को दवाईयां खरीदने का अधिकार नहीं देते.
साथ ही इस काम को केंद्रीय खरीद प्राधिकरण को सौंपने की बजाए स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक तरुण सीम को जिम्मेदार बनाया गया था. साथ ही उन्हें 100 करोड़ की दवाई खरीदने की जिम्मेदारी दी गई.
उन्होंने आगे कहा कि ऑर्डर देने के लिए निरंतर सॉफ्टवेयर भी बनाया गया और तीन गोदाम भी बनाए गए. दवाईयां खरीदकर गोदाम में रखी गईं. जबकि डेंगू की दवाईयां खरीदना ज्यादा जरूरी था. जिन दवाईयों को पहले खरीदा गया उनकी जरूरत नहीं थी.