हिंदुओं के पास दो साल बाकी हैं, क्या करने की सोची है?

हम ने मोदी जी में हिंदुओं का रक्षक देखा लेकिन उन्होंने खुद को हमेशा विकास का ही सैनिक बताया है और उसी तरह चल रहे हैं. लेकिन एक फर्क है कि वे पूर्व सरकारों की तरह जानबूझ कर हिंदुओं का कोई नुकसान नहीं कर रहे हैं.

मेरी नजर में मोदी जी एक गाड़ी हैं और गाड़ियां आप को गंतव्य पर पहुंचा तो देती हैं, लेकिन उन्हें चलाना पड़ता है. गाड़ियां खुद से नहीं चलती.

‘वाकई’ गिरोह ड्रायवरी जानता है, जहां चाहे वहाँ पहुँच जाता है, हम देखते रहते हैं, देखकर चिढ़ते रहते हैं. हम पैसेंजर बने रहने में ही यकीन करते हैं, और गाड़ी को कोस रहे हैं कि इतनी महंगी गाड़ी ले आए हैं, खुद से क्यों नहीं चल रही? खुद से हमें जहां जाना है क्यों नहीं ले जा रही?

अब आगे चलकर इस बात पर एक बड़ी बात कहने जा रहा हूँ, कृपया साथ रहें.

‘सबका साथ, सबका विकास’ इस घोषणा का सब से अच्छा उपयोग तो ‘वाकई’ गिरोह ही कर रहा है. अपने-अपने फायदे की योजनाएँ सरकार से कार्यान्वित करवा रहा है और सरकार उन्हें नकार भी नहीं सकती.

यहीं हिंदुओं की सब से बड़ी कमी उजागर हो रही है. हिन्दू कौन सी मांग रख रहे हैं सरकार के सामने जो उन्हें सक्षम और मजबूत बनाए?

क्या भाजपा के किसी नेता ने हिंदुओं के लिए कोई आर्थिक उत्थान की योजना प्रस्तुत की है? क्या हिन्दुत्व के ठेकेदारों ने हिन्दू हित रक्षण की कोई ऐसी योजना प्रस्तुत की है जिससे हिंदुओं का आर्थिक सशक्तिकरण हो, हिंदुओं में रोजगार बढ़े, धर्मांतरण और हमारी संख्या का क्षरण घटे?

मंदिर, गौहत्या बंदी, 370 आदि मांगें रखिए, मैं उनके बारे में कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन क्या इनके अलावा भी कोई ठोस मांगे लाये हैं ये हिन्दुत्व के ठेकेदार संगठन?

कोई ठोस उपाय जिनसे धर्मांतरण करने वाले हमारे बांधव धर्मांतरण न करें, उल्टा उन्हें उकसाने वालों को सबक सिखाएँ? धर्मांतरण के प्रलोभन सीधा आर्थिक या आर्थिक स्थिति सुधारने के सब्जबाग दिखानेवाले होते हैं.

क्या इन संगठनों के पास ऐसी कोई योजनाएँ हैं जिनसे ये टार्गेट हुए लोगों की समस्याएँ हिन्दू रहते ही सुलझ जाएँ? क्या ऐसी योजनाओं को लेकर ये जन जागरण और जन आंदोलन चला रहे हैं? क्या ऐसी योजनाओं को लेकर वे सरकार पर हिंदुओं की संख्या का दबाव ला रहे हैं?

आप को पता है तो कृपया ज्ञानवर्धन करें, मुझे पता नहीं चला है. और हाँ, कृपया “…. के बारे में आप जानते ही क्या है?” से शुरू न होइएगा, जो सवाल रखा है उसको लेकर मुझे जानकारी नहीं है इसलिए पूछ रहा हूँ. और हाँ, जो जानकारी देंगे उसे कृपया प्रमाणित अवश्य करें.

यहाँ मोदी जी के विरोधी शुरू हो गए हैं, एक वे हैं जिन्होंने खुद हिंदुओं के लिए कभी कुछ किया नहीं है और न कभी करेंगे, लेकिन मोदी जी ने हिंदुओं के लिए कुछ नहीं किया यह राग आलापने में उनको महारत है.

दूसरे वे हैं जो जन्मजात आलोचक हैं, ठोस और व्यवहारिक सुझाव क्या होता है यह उनको पता नहीं होता. ये खुद को Quality Inspectors बताएँगे, लेकिन innovation और R & D में यह पूरे fail साबित होते हैं.

और इनकी क्वालिटी इंस्पेक्टरी भी फर्जी और स्वघोषित ही होती है, क्या नहीं हुआ इसकी लंबी लिस्ट देंगे, लेकिन यह रोकने के लिए क्या करना चाहिए, इस पर इनके पास कभी कोई व्यवहार्य विचार नहीं होता.

चलिये, कुल मिलाकर लब्बोलुआब यही है कि मोदी जी हिंदुओं के लिए खुद से कुछ करेंगे, यह अपेक्षा बचकानी है. असल में तो हिंदुओं ने ही उनसे या भाजपा वालों से कोई काम नहीं लिया है. इसमें दोष किसका है इस पर जुगाली ना कीजिये, अब क्या किया जा सकता है इस पर विचार सार्थक होगा.

बाकी अगर ठोस योजना को लेकर किसी को कोई ठोस बात करनी है तो स्वागत है. दो साल से इन लोगों से बातें कर रहा हूँ, अनुभव को लेकर कड़वाहट को सार्वजनिक करने की इच्छा नहीं है, उससे कुछ नहीं होगा.

रही मोदी जी की बात. निर्मोही व्यक्ति हैं. हो सकता है उन्हें आज दु:ख ही होता होगा कि कोई हिन्दू संगठन उनके पास दबाव बना कर आता ही नहीं हो.

ऐसा मेरा एक अन्य व्यक्ति के साथ अनुभव रहा है और अन्य मित्रों से भी ऐसे अनुभव सुने हैं कि अगला यही शिकायत करता है आप लोग कुछ लेकर आओ तो सही, दूसरे ठोस बातें लेकर आते हैं, उनके काम करने पड़ते है क्योंकि बात नियमों में फिट बैठाकर प्रस्तुत की जाती है. आप लोग तो आते भी नहीं. समझा कीजिये, हम खुद पहल नहीं कर सकते, पद की मर्यादाएँ होती हैं.

अगर अधिकारी यह कहते हैं, तो सोचिए मोदी जी की क्या अवस्था होगी.

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