कुछ तो extra judicial, extra constitutional करना ही पड़ेगा

पिछले दो दिन में दो बड़ी महत्वपूर्ण घटनाएं हुई. यूपी में, ग्रेटर नोएडा में, दिल्ली के बेहद नज़दीक, जेवर में हाई वे पर एक तथाकथित गैंग रेप हुआ जिसने पिछले साल बुलंदशहर में हुए गैंगरेप की याद ताजा कर दी. ज़ाहिर सी बात है, इस कांड से यूपी की योगी सरकार की बहुत किरकिरी हुई.

दूसरी खबर ये आयी कि KPS Gill नहीं रहे. 82 वर्ष की उम्र में आज उनका निधन हो गया.

KPS Gill वो अफसर थे जिनके नेतृत्व में 90 के दशक में पंजाब पुलिस ने खालिस्तानी आतंकवाद को कुचल के पंजाब को एक नई आज़ादी दी.

पंजाब का आतंकवाद दरअसल एक proxy war था जिसे भारत, पाकिस्तान के खिलाफ लड़ रहा था. एक तरफ खालिस्तानी (पाकिस्तानी) आतंकी थे तो दूसरी तरफ पंजाब पुलिस. इस छद्म युद्ध मे संवैधानिक रास्तों से पार पाना असंभव था.

ऐसे में पंजाब की तत्कालीन बेअंत सिंह की कांग्रेस सरकार ने KPS Gill की पंजाब पुलिस को खुली छूट दी और पंजाब पुलिस ने Extra Judicial तरीकों (पुलिस एनकाउंटर) से हज़ारों आतंकियों को कुत्ते की तरह दौड़ा दौड़ा के मारा… पंजाब पुलिस के अथक Extra Judicial प्रयासों के कारण ही पंजाब को खालिस्तानी आतंकवाद से मुक्ति मिली.

पर जैसे ही पंजाब में शांति बहाल हुई, दशकों से गायब मानवाधिकार संगठन, मारे गए आतंकियों और उनके परिवारों के मानवाधिकारों के लिए मुहर्रम मनाने लगे.

धड़ाधड़ PIL डाली जाने लगीं… पंजाब पुलिस के जवानों और अफसरों को extra Judicial measures के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा… उनके खिलाफ हत्या, बलात्कार के मुक़दमे दायर किये जाने लगे…

हज़ारों पुलिस वाले उस दौर में प्रताड़ित हुए… CBI जांचें हुई… कल तक जो पंजाब सरकार, खालिस्तानी आतंकवाद से लड़ रही थी, वही अब पंजाब पुलिस के खिलाफ लड़ रही थी.

इस प्रताड़ना से तंग आ के तरणतारण के एसएसपी अजीत सिंह संधू ने अम्बाला-चंडीगढ़ रेल रूट पे लालड़ू के नज़दीक हिमालयन क्वीन रेल के सामने कूद के आत्महत्या कर ली…

तब KPS Gill ने एसएसपी संधू के दाह संस्कार से लौट के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल को एक पत्र लिखा था…

उसमें उन्होंने अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल की एक कविता की दो पंक्तियाँ उद्धृत की हैं…

हम भी बच सकते थे, घर पे रह कर
हमको भी माँ बाप ने पाला था, दुःख सह-सह कर

क्या ज़रूरत थी एसएसपी संधू को अपनी जान पे खेल के ये Extra Judicial जोखिम उठाने की?

क्यों कुर्बान कर दिया बटाला के एसएसपी गोबिंद राम ने अपना पूरा परिवार… अपना 17 साल का इकलौता बेटा?

ये सब भी बच सकते थे, घर पे रह कर…

यूपी की कानून व्यवस्था का बुरा हाल है… कानून के हाथ बंधे हैं… माफिया या तो पकड़े नहीं जाते, या फिर दो दिन में जमानत पे छूट जाते है, या फिर पैरोल पे…

और न छूटे तो जेल से ही अपनी सत्ता चला लेते हैं… कानून की आंख पे पट्टी बंधी है और लंबे हाथ संविधान की बेड़ी में जकड़े…

जेवर गैंग रेप (कथित) की प्रतिक्रिया में एक मित्र ने लिखा है कि पकड़ के सीधे गोली मारो अपराधियों को…

कौन मारेगा?

क्यों मारेगा?

कौन बनेगा एसएसपी अजीत सिंह संधू? क्यों बनेगा? हिमालयन क्वीन के सामने कूदने के लिए?

एंटी रोमियो स्क्वाड सड़क किनारे छीटाकशी करते मनचलों को अगर दो डंडा मार दे तो जो मीडिया और जो समाज सिर पे आसमान उठा लेता है वो किसी बलात्कारी, या डाकू माफिया का एनकाउंटर बर्दाश्त करेगा क्या?

कुछ तो extra judicial, extra constitutional करना ही पड़ेगा…

Comments

comments

LEAVE A REPLY