1987 की बात है. Italy में रोम नगर में atheletics की world championships हो रही थी. 1500 मी की दौड़ में भारत का प्रतिनिधित्व कश्मीरा सिंह कर रहे थे.
1500 मीटर की दौड़ में ट्रैक के कुल पौने चार चक्कर लगाने होते हैं. यानी पहले राउंड में कुल 300 मीटर और बाकी 3 राउंड में कुल 1200 मी.
दौड़ शुरू हुई …….. कश्मीरा सिंह ने दौड़ शुरू होते ही बढ़त बना ली. ट्रैक पे लगभग 40 से ज़्यादा धावक दौड़ रहे थे. पर कश्मीरा सिंह सबसे आगे थे. कमेंटेटर ने बताया ……. India का Athelete सबसे आगे चल रहा है …….
3 round तक कश्मीरा सिंह सबसे आगे चले, पर कमेंटेटर उनकी इस दौड़ से कतई इम्प्रेस नहीं था. वो पीछे चल रहे किन्ही दो अन्य धावकों पे निगाह रखे थे.
बहरहाल चौथा और आखिरी राउंड शुरू हुआ. एक धावक बढ़ के कश्मीरा सिंह से आगे आ गया. और उसके बाद कश्मीरा सिंह उस भीड़ में खो गए और फिर कभी नहीं दिखे. बाद में जब हम लोगों ने record book देखी तो पता चला कि शायद कश्मीरा सिंह 40 में से 38वे स्थान पे रहे.
ज़िन्दगी की दौड़ में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पहले राउंड में आगे हैं कि नहीं. फर्क इस बात से पड़ता है कि finishing लाइन पे सबसे पहले कौन पहुंचा. उस दौड़ में सोमालिया के Abdi Bile फिनिशिंग लाइन पे सबसे पहले पहुंचे और उन्होंने Gold medal जीता.
इतिहास में नाम Abdi Bile का दर्ज है न कि कश्मीरा सिंह का.
आजकल 10वी और 12वी क्लास के रिजल्ट्स आ रहे हैं. 95 % स्कोर करने वाले बच्चों के अभिभावक बड़े गर्व से उनका नाम और फोटो डाल रहे हैं. जिन बेचारे बच्चों ने 54 % स्कोर किया उनके parents के पास गर्व करने के लिए कुछ नहीं है क्या ?????
मित्रों …… अभी तो ज़िन्दगी की marathon दौड़ का बमुश्किल पहला राउंड पूरा हुआ है ……. फिनिशिंग लाइन पे न जाने कौन पहुंचेगा सबसे पहले. शुरू में बहुत तेज़ दौड़ने वाले ज़रूरी नहीं कि इसी दमखम से लगे रहे.
सबसे आगे वो आएगा जो धैर्य पूर्वक लगा रहेगा. जो बिना हार माने दौड़ता रहेगा. वो जिसकी निगाह लक्ष्य पे रहेगी.
जीतना ज़रूरी भी नहीं. मज़ा दौड़ पूरी करने में भी है. ज़िन्दगी की दौड़ में अक्सर 54 % भी जीतते हैं .
याद रखना chinese bamboo ……. सबसे देरी से उगता है पर उगते ही 7 हफ्ते में 40 फुट का हो जाता है.
दौड़ते रहो ……. रुकना मत ……