मेकिंग इंडिया गीतमाला : ख़ुदा करे कि क़यामत हो और तू आए

‘इंतज़ार’
बस इतना ही कहा उसने
और मैंने आसमान की तह लगाकर
भर दिया गठरी में,
ज़मीन की हर पर्त को साड़ी की पटली बनाकर
खोंस दी सूरज की पिन,
आँखों में रात का काजल लगाकर
माथे पर रख लिया चाँद,
बालों को धो लिया है सुबह की धूप से ….

मुलाक़ात के बचे पलों की उलट गिनती को
कांच की चूड़ी बनाकर
पहन लिया है हाथों में
और तोड़ रही हूँ एक चूड़ी रोज़…

जब भी मिलूंगी
गठरी से निकालकर
अपना पूरा आसमान धर दूंगी …
कि देखो उस बादल को
आज तक बरसने नहीं दिया
जो तुम छोड़ आए थे मेरी आँखों में….
और वो सप्तऋषि के सात तारे
आज भी सातों दिन उलाहना देते हैं मुझको….

चाँद और सूरज रोज़ डूब जाते है
तुम्हारे इन्तजार में
लेकिन मैंने उस उम्मीद को डूबने नहीं दिया
जब तुमने कहा था
मैं तो ज़रूर आऊँगा एक दिन
क्या तुम कर सकोगी इंतज़ार???

https://www.youtube.com/watch?v=gKwp_8XdFWk

Comments

comments

LEAVE A REPLY