अभिव्यक्ति डॉ अव्यक्त की : दवाओं के साइड इफ़ेक्ट और वैज्ञानिक सच

दुनिया में कोई भी ऐसा तत्व नहीं जिसका मात्र इफ़ेक्ट हो और साइड इफ़ेक्ट की संभावना न हो. वैज्ञानिक रूप से यह संभव ही नहीं कि कोई तत्व शरीर में जाये, फिर मात्र वह अच्छा प्रभाव और बदलाव हर बार करे जो कि हम चाहते हैं और कभी भी दूसरा कोई और प्रभाव न करे.

मात्र उस अंग पर प्रभाव डाले जहाँ बीमारी है और किसी और अंग पर कभी भी संभावित दुष्प्रभाव न डाले. देखना यह होता है कि सम्भावित साइड इफ़ेक्ट ज़्यादा हैं क़ि प्रभाव.

लेकिन आपने यह बहुत सुना होगा क़ि इस पद्धति से कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता और उससे बहुत होता है क्यों.

और इस अवैज्ञानिक प्रचार ने हमारे प्यारे, बुद्धिमान, मेहनती, 5 साल पढ़ने वाले आयुर्वेद के चिकित्सकों का बहुत नुकसान किया है.

लोग आयुर्वेदिक दवाएं बिना मशवरे के बिंदास लेने लगे. टीवी, अख़बारों में छपे विज्ञापनों को देख कर. आज देश में लाखों बच्चे BAMS बनते हैं लेकिन चॉइस से नहीं. ज़्यादातर mbbs में सेलेक्ट न हो पाने की वजह से BAMS चुनते हैं क्योंकि अधिकांश का प्लेसमेंट, कमाई काफी ख़राब होती है ग्रेजुएशन के बाद.

ढेरों बच्चे MD, MS doctor के ड्यूटी डॉक्टर बन एलोपथिक चिकित्सा के गुमनाम डॉक्टर बन जाते हैं और जिन राज्यों में एलॉपथी लिखना allowed नहीं है वहां गैरकानूनी रूप से इन्हें लिखने मज़बूर होते हैं.

क्यों? क्योंकि उनके क्लिनिक चल नहीं पाते. लोग उनसे कंसल्ट नहीं करते. क्योंकि आयुर्वेद दवा लेने में उन्हें डर नहीं लगता. कंसल्ट करते भी हैं तो उन्हें बहुत सस्ती फी रखनी होती है. ज़्यादातर अपने क्लीनिक् के दम पर जीवनयापन नहीं कर पाते. पतंजलि सेंटर में नए जॉब क्रिएट हुए हैं जिनमें वे 15 से 30 हज़ार में सुबह से शाम प्रैक्टिस करते हैं और अपना क्लिनिक खोलना उन्हें allowed नहीं होता. न ही सफल उपचार का उन्हें कोई क्रेडिट या नाम मिलता है इनमें. क्रेडिट उसे मिलता है जिसने आयुर्वेद की पढ़ाई ही नहीं की.

ऐसे प्लेसमेंट को जहाँ mbbs चिकित्सक कोई भाव न देंगे हमारे BAMS चिकित्सक दोहन करने वालों को उद्धार करने वाला मान लेते हैं क्योंकि कम से कम जो सीखा उसमें तो कार्य करने मिला. और जीवनयापन हुआ.

सरकारें कुछ vacancy कुछ सालों में निकालती है जिनमे उनसे mbbs डॉक्टर की तुलना में दोयम व्यव्हार होता है.

बड़े पूंजीपति 300 करोड़ लगा mbbs और डेंटल मेडिकल कॉलेज खोलते हैं जिनमें लोग 1 करोड़ दे कर भी बच्चों को mbbs कराने तैयार होते हैं. लेकिन BAMS के लिए कोई पैसा नहीं डालता न माँ बाप न पूंजीपति.

BAMS बनने की जगह लोग कॉमर्स, आर्ट से BA करना पसंद करते हैं ख़राब प्लेसमेंट की वजह से. ज़ी हाँ यह वही देश है जहां हम आयुर्वेद को लेकर भावुक और संवेदनशील है.

तो क्यों बनती है कोई साइड इफ़ेक्ट न होने की धारणा:

जीवनदायिनी ऑक्सीजन तक साइड इफ़ेक्ट करती है क्या आपको पता है? वो भी गंभीर साइड इफ़ेक्ट. हमारे बूढ़े होने में ऑक्सीजन फ्री रेडिकल्स और कम माह के शिशु के अंधे होने में ऑक्सीजन का हाथ हो सकता है.

पानी में मौजूद अनेक खनिज, केमिकल, बैक्टीरिया साइड इफ़ेक्ट कर सकते हैं?

मूंगफली, गेहूं, चावल, मक्का, दूध, अंडे जैसी रोज़मर्रा की खाने की चीज़ें हमें मृत्यु से लेकर celiac disease जैसी गंभीर बीमारियां दे सकती हैं.

फिर आपको क्यों नहीं हुए कोई साइड इफ़ेक्ट? यही न?

देखिये मैं पिछले 2 वर्षों में हज़ारों मरीजों को पेरासिटामोल दे चुका होऊंगा लेकिन मुझे एक मरीज़ ने भी कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं बताया. ऐसे में क्या मैं ये मान सकता हूँ कि पेरासिटामोल पूर्णतः साइड इफ़ेक्ट रहित है? नहीं क्योंकि मेरा अकेले का अनुभव वो भी बिना सही स्टडी के गलत हो सकता है.

पेरासिटामोल के लीफलेट पर 20 साइड इफेक्ट लिखे होंगे जो कि पूरी दुनिया में लाखों मरीजों के बरसों तक रिपोर्ट किये गए अध्ययन के आधार पर होते हैं और उन्हें स्वीकारना और वार्निंग के रूप में लिखना कंपनी की ज़िम्मेदारी.

लेकिन यदि मैं और अन्य कोई कोई डेटा मेन्टेन न करे तो इस निष्कर्ष पर पंहुचेगा कि नहीं इसके कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होते.

तो मेरा मानना है क़ि आयुर्वेद के जन्मदाता देश में आयुर्वेद प्रोडक्ट्स और 3 4 कंपनियों के अरबों के मार्किट के बीच हमारे आयुर्वेद के सच्चे प्रोफ़ेशनल ख़राब हालात में हैं.
उनके परामर्श को दरकिनार करना नुकसानदायक हो सकता है.

साथ ही आयुर्वेद में कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं ज़ैसे दावे विदेशों में हमारे इस विज्ञान को वो मुक़ाम नहीं दिला पाते. वे लोग तत्वों का मैकेनिज्म देखने के आदी हैं. और विदेश छोड़िए हम कितना महत्त्व दे रहे हैं अपने चिकित्सकों को?

जहाँ प्रभाव होगा वहां दुष्प्रभाव की संभावना हमेशा होगी.
चाहे कोई भी तत्व ब्रह्माण्ड में कहीं से भी लिया जाये.

यह वैज्ञानिक रूप से अंसभव है, अच्छा हो क़ि हम डेटा एकत्र करें. निरंतर सुधार करें. और एक्सपर्ट qalified BAMS डॉक्टर से परामर्श लें.

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