कांशीराम का राजनैतिक सफर 1984 में शुरू हुआ जब उन्होंने बामसेफ और DS4 नामक अपने गैर राजनीतिक सामाजिक संगठन को भंग कर BSP की स्थापना की.
1992 तक बसपा देश की एक बड़ी राजनैतिक ताक़त बन के उभर आई थी. 1992 में पंजाब के चुनावों में बसपा ने 16% मत लिया था. इसके अलावा दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाण और हिमाचल में भी बसपा का 7 से 14% तक वोट था.
2007 में बसपा अपने चरम पर थी जब कि उसने यूपी में अकेले दम 30% से ज़्यादा मत ले के पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और भेन मायावती जी यूपी की चौथी बार सीएम बनीं.
फिर 2014 में भाजपा और नरेंद्र मोदी के उदय के साथ बसपा का सूर्य अस्त होना शुरू हुआ. जो बसपा कभी यूपी में 30% से ज़्यादा मत लेती थी, वो 2014 और 2017 में 20-22 % पे सिमट गई. 2014 के लोकसभा चुनाव में तो इसकी एक भी सीट नही आई.
2017 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने बहुत बुरा प्रदर्शन किया. ऐसा नही है कि बसपा सिर्फ UP में ही ढलान पर है.
हिमाचल में कभी 7.5% मत लेने वाली बसपा आज 1.71% पर आ गिरी है. हरियाणा में 6.73% से 4.37% पर. पंजाब में 16.3 % से सिर्फ 1.5% पर.
दिल्ली में कभी 14% वोट लेने वाली बसपा आज 1.3% पर आ गिरी है. यूपी से अलग हुए उत्तराखंड में भी 12% से घट के 7% हो गया.
राजस्थान में 7.6% से घट के 3.3%, मध्यप्रदेश में 9% से घट के 6%, बिहार में 4.4% से घट के 2% पर आ गयी बसपा पिछले 10 साल में (सभी आंकड़े Outlook से).
आखिर ऐसा क्या हुआ कि बसपा के वोटर, मुख्यतया दलित वर्ग, का मोहभंग हो गया बसपा से?
2012 के विधानसभा चुनाव में पंजाब में ऐसी चर्चा थी कि मायावती ने सुखबीर बादल से 200 करोड़ रूपए ले के पंजाब की प्रत्येक सीट पर बसपा का प्रत्याशी उतारा और कांग्रेस का वोट काटने का काम किया.
नतीजा ये आया कि कांग्रेस चुनाव हार गई और पंजाब का दलित वोटर ठगा सा रह गया.
इस बार 2017 मे वही दलित वोटर बसपा और भेन जी को छोड़ एकमुश्त कांग्रेस में चला गया.
इसी साल यूपी में जब भेन जी मुसलमानों को ज़्यादा सिर चढ़ाने लगीं तो दलित वोटर बसपा को लात मार भाजपा में चला गया.
भेन जी को पता चल चुका है कि उनका किला ढह रहा है. उनका वोटबैंक दलित उनको छोड़ के जा रहा है. बसपा ढलान पर फिसलती वो गाड़ी है जिसकी ब्रेक फेल हो गयी है.
अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए ही भेन जी तिलक तराजू और तलवार को वापस जूते मारने की नीति पर दुबारा चल पड़ी हैं.
सहारनपुर में ये भीम आर्मी का उत्पात और राजपूतों से दलितों का खूनी संघर्ष… ये भेन जी द्वारा हताशा में उठाया गया कदम है. इसमें भाजपा की योगी सरकार अगर भेन जी को गिरफ्तार कर लेगी तो उनको और बसपा को संजीवनी मिल जाएगी.
इसीलिए कल प्रशासन ने न तो भेन जी को सहारनपुर जाने से रोका और न गिरफ्तार किया. बसपा बुझने से पहले फड़फड़ाता हुआ दिया है.
इसमें भेन जी को गिरफ्तार कर सहानुभूति का तेल डालने की गलती योगी जी को नहीं करनी चाहिए. भेन जी राजनैतिक गलतियां कर रही हैं. करने दो.