आतंकवाद से निपटने जब पकिस्तान को ही बना दिया मुखिया!

राजनीति वैसे तो एक गंभीर विषय है और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति उससे भी अधिक गंभीर है क्योकि देशी राजनीति में तो लालू और केजरीवाल जैसे राजनेता हास्य का तड़का लगाते रहते हैं पर कई बार अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भी ऐसी घटनाएं घट जाती है जो हमारे इन देशी नेताओं की हरकतों को भी फीका कर देती है.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दो दिन की राजकीय यात्रा पर साउदी अरब पहुंचे. इस दौरान डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के प्रति कड़ा रवैया अपनाया. उन्होंने 55 सुन्नी बहुल देशों के सम्मेलन को संबोधित किया.

इन 55 देशों ने अमेरिका से अनुनय विनय किया कि वो ईरान के खिलाफ कड़ी कार्यवाई करे क्योकि ईरान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और क्षेत्र मे अस्थिरता फैला रहा है. जबकि वास्तव में ईरान आज तक किसी आतंकवादी  हिंसक घटना मे शामिल नहीं रहा… दूसरी ओर अमेरिका पर जो 11 सितम्बर 2001को आतंकी हमला हुआ था उसमें शामिल 19 पायलट में से 15 पायलट साउदी अरब के थे और हमले का मास्टरमाइंड  ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में छुपा बैठा था…

ओसामा भी साउदी अरब का ही नागरिक था. ट्रम्प ने इस सब के बारे में एक शब्द नहीं कहा और ट्रम्प नवाज शरीफ से भी बड़ी गर्मजोशी से मिले.

वास्तविकता यह है कि ईरान एक स्वाभिमानी शिया बहुल राष्ट्र है और उसने आज तक अमेरिका के सामने घुटने नहीं टेके, वहीं दूसरी ओर साउदी अरब सहित अनेक खाड़ी मुल्कों में अमेरिका के  सैन्य अड्डे हैं.

और इन्हीं देशों की मदद लेकर अमेरिका ने इराक में सैन्य कार्यवाई करके सद्दाम हुसैन को दो बार पराजित किया और उन्हे 2006 में फांसी पर लटका दिया था. ईरान ने खाड़ी युद्ध के दौरान अमेरिका को किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं दी. जबकि ईरान इराक युद्ध के दौरान सद्दाम ने ईरान के खिलाफ कई सालों तक युद्ध लड़ा था और अमेरिका सहित पश्चिमी मुल्क इराक की सहायता कर रहे थे.

सबसे हैरान करने वाली बात तो यह रही कि अफगानिस्तान मे शांति स्थापना और आतंकवाद से निपटने के लिये ट्रम्प ने पाकिस्तान से सहायता मांगी. इतना ही नहीं इन 55 में से 41 मुल्कों ने आतंकवाद के खिलाफ एक सैनिक गठबंधन बनाया है. जिसका मुखिया उन्होंने पाकिस्तान को बनाया है और पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल राहिल शरीफ उसके कमांडर है.

ये ठीक वैसी ही घटना है जैसे भारत मे भ्रष्टाचार के विरोध मे कोई समिति बनाई जाये और उसका मुखिया ‘लालू प्रसाद’ को बना दिया जाये.

है ना मजेदार किस्सा…??

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