अलका लाम्बा का डिज़ास्टर टूरिज्म

बीती रात दिल्ली के चांदनी चौक के कटरा धुलिया इलाके में आग लग गयी. इलाके में कपड़े के थोक व्यापारियों की दुकाने थीं, लिहाजा आग ने देखते ही देखते विकराल रुप ले लिया. तत्काल सूचना पर फायर बिग्रेड की गाड़ियां अपने पूरे साजो सामान के साथ प्रभावित इलाके में पंहुचने लगीं. इसके साथ ही स्थानीय विधायक अल्का लांबा भी मौके पर पंहुच गयीं.

वैसे तो ऐसे मौकों पर किसी वीआईपी के पंहुचने पर फायर फाईटर्स असुविधा महसूस करते हैं, लिहाजा वह चाहते हैं कि उनके काम के दौरान कोई दखलंदाजी न की जाय. क्योंकि ऐसे मौकों पर उन्हें बेवजह प्रोटोकाल का पालन करने में असुविधा होती है. जिससे वह अपना काम ठीक ढ़ंग से अंजाम नहीं दे पाते.

लेकिन अल्का लांबा तो पंहुची ही थीं डिजास्टर टूरिज्म करने. लिहाजा वह झट से आग बुझाने के काम में लगी हाई सेंसटिव स्काई लिफ्ट क्रेन पर चढ़ गयीं. क्यों चढ़ीं यह तो उन्हें भी नहीं मालूम. क्योंकि लिफ्ट की सहायता से ऊपर जाकर वह अंगुलियों की सहायता से विक्ट्री साइन दिखाकर फोटो सेशन कराने लगीं.

इधर आग लगातार बढ़ती जा रही थी और लांबा लिफ्ट से उतरने का नाम नहीं ले रही थीं. व्यापारी, जिनकी दुकानें आग की लपटों से धू-धूकर जल रही थीं वह नीचे खड़े होकर छाती पीट रहे थे.

फायर फाईटर्स ने भी विधायिका जी से नीचे उतरने का आग्रह किया. लेकिन वह लिफ्ट से ऊंचाई पर जाकर मजे लेने का मोह छोड़ने के मूड में नहीं थीं. अंत में जब व्यापारियों और आम जनता के सब्र का बांध टूट गया तो वह नीचे से नारेबाजी करने लगे.

पहले तो लांबा जी को लगा कि लोग उत्साहित होकर उनके पक्ष में नारे लगा रहे हैं. लिहाजा वह दोगुने उत्साह से डिजास्टर टूरिज्म का मजा लेने लगीं. लेकिन तभी साथ में खड़े फायर फाईटर ने जब उन्हें यह बताया कि लोग उनके विरोध में नारे लगा रहे हैं तो तमतमाये चेहरे के साथ वह नीचे उतरीं. लेकिन नीचे उतर कर वहां से जाने की बजाय वह दोबारा एक फायर टैंकर पर चढ़ गयीं. अंत में जब लोगों ने उन्हें घेरकर नारेबाजी करनी शुरु की तब वह स्थिती को भांप कर वहां से खिसकना मुनासिब समझीं और धीरे से निकल लीं.

इस बीच दो स्काई लिफ्ट क्रेन और पैंतिस फायर टैंकर होने के बावजूद भी लगभग सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति आग में स्वाहा हो गयी. लगभग छह घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद फायर फाईटर्स ने बिना किसी के हताहत के आग पर काबू पाया.

आग तो बुझ गयी, लेकिन चांदनी चौक की जनता और व्यापारी सोच रहे हैं कि दो साल पहले उनकी बुद्धि को क्या हो गया था कि एक सेवक की बजाय उन्होंने एक संहारक को अपना विधायक चुन लिया. अल्का लांबा और उनकी पार्टी सहित युगपुरुष की सरकार भी अब तक यह जवाब नहीं दे पायी है कि आखिर वह स्काई लिफ्ट पर चढ़कर क्या देख रही थीं?

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