सीएम योगी के 9 महत्वपूर्ण लोग हैं. इन्हें सीएम की तरफ से ग्रीन कार्ड मिला हुआ है. यानी इन लोगों को कोई सुरक्षा कर्मी उनके पास जाने से नहीं रोक सकता. ये वो कार्ड होल्डर हैं जो सीएम योगी के काफी सालों से नजदीक रहकर सेवा करते रहे है. जानिए इन्हें क्या मिली है जिम्मेदारी.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ आतंकियों के टारगेट पर होने के खुफिया एजेंसियों को मिले इनपुट के बाद लगातार इनकी सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की गई है. इसी कड़ी में गोरक्षपीठ में प्रवास के दौरान उनकी सुरक्षा कड़ी रहती है. मठ में रहने के दौरान पीठ से जुड़े आठ शख्स ही अब मंदिर परिसर में आ-जा सकते हैं. इन सबको स्पेशल आई कार्ड जारी किया गया है.
इनका आई कार्ड इनके आधार नंबर से लिंक है. इस नए आई कार्ड की खासियत ये है कि इन्हें A सीरीज के 001 से लेकर 009 नंबर तक के कार्ड जारी किए गए हैं. कार्ड में एक विशेष तरह का रिबन लगा है और इसी से एक व्हाइट कलर की डिवाइस भी अटैच है.
सबसे पहला नाम योगी के राजनीति गुरु महंत अवैद्यनाथ के साथ काम करने वाले 65 साल के द्वारिका प्रसाद तिवारी का है. इसके अलावा वीरेंद्र सिंह भी हैं. द्वारका प्रसाद तिवारी ने खास बातचीत में बताया कि उन्होंने अपनी सारी जिंदगी मंदिर में ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ और योगी आदित्यनाथ की सेवा करने में लगा दी.
बता दें कि गोरखनाथ मंदिर का पूरा प्रशासकीय कार्य इनके द्वारा ही किया जाता है. इन्हें सभी वीआईपी की पहचान है. ये सीएम योगी के पहले अनौपचारिक गुरु भी कहे जाते हैं. इन्होंने योगी बनने से पहले आदित्यनाथ को बहुत सा ज्ञान और सहयोग दिया था.
दूसरा नाम वीरेंद्र सिंह जो वो बचपन से ही गोरक्षनाथ मंदिर की इस पीठ से जुड़े हैं. कार्यालय के कार्यों में ये द्वारिका तिवारी के खास सहायक माने जाते हैं. सीएम योगी के काफी करीबी माने जाने वाले विरेंद्र सिंह हमेशा योगी के एक फरमान पर खड़े नजर आते है. वीरेंद्र ने बताया कि उनकी प्राथमिकता होती है कि वो योगी जी के बताये गए कामों को पूरी तत्परता से निभाएं.
वहीं गोरखपुर जिले से लेकर प्रदेश और देश के हर वीवीआईपी लोगों के मोबाइल नंबर उनके जुबान पर है. यही वजह है कि योगी के एक इशारे पर ये देश से लेकर विदेश तक में मौजूद योगी समर्थकों से बात करा देते है.
तीसरा नाम प्रोफेसर यूपी सिंह का आता है. ये स्व. वीर बहादुर सिंह यूनिवर्सिटी जौनपुर के पूर्व कुलपति रह चुके हैं. गोरक्षनाथ पीठ से 40 सालों से अधिक समय से जुड़े हैं. मठ के वित्तीय कार्यों का जिम्मा इन्हीं के ऊपर रहता है. एक रुपए हो या एक करोड़ का चेक, इनके दस्तखत के बिना पैसा नहीं निकल सकता है.
चौथा नाम इंजीनियर पीके मल्ल का है. ये और योगी सन 2000 के पहले से जुड़े हैं. मल्ल हिंदू युवा वाहिनी के पहले प्रदेश कार्यालय प्रभारी थे, लेकिन अब इनकी जिम्मेदारी संगठन में प्रदेश महामंत्री की है. वाहिनी से जुड़ा हर कार्य इंजीनियर मल्ल ही देखते हैं.
पांचवा नाम आता है उमेश सिंह उर्फ बल्लू राय का. उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस पीठ की सेवा करता आ रहा है. बल्लू राय 13 सालों से अनवरत योगी आदित्यनाथ की सेवा में लगे हुए हैं. वर्तमान में वे सीएम योगी आदित्यनाथ के निजी सहायक के तौर पर हमेशा योगी के साथ नजर आते हैं और हमेशा उन्हीं के साथ रहते हैं.
छठा नाम आता है विनय गौतम का, जो गोरखनाथ पीठ के फोटोग्राफर जर्नलिस्ट हैं. मीडिया से समन्वय की जिम्मेदारी इन्हीं के पास है. विनय वर्ष 2007 से इस पीठ और योगी आदित्यनाथ की सेवा में लगे हुए हैं.
सातवां नाम आता है दिव्य कुमार सिंह का, जो सीएम योगी के सोशल मीडिया को हैंडल करते है. जो साल 2003 से इस पीठ और योगी आदित्यनाथ से जुड़े हुए हैं. कम्प्यूटर सेक्शन का चार्ज इन्हीं के पास है. सीएम योगी का मेल, फेसबुक और ट्विटर आदि अकाउंट यही उनके निर्देश पर मेंटेन होते हैं.
आठवां नाम है शरद सिंह का है जो काशी के रहने वाले हैं, ये 1997 से योगी की हिन्दू युवा वाहिनी के पर्दे के पीछे के पोषक या कहो तो संरक्षक रहे हैं.
पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर हैं समाजसेवा और वर्तमान राजनीति में उनके नीतिगत व सलाहकार के रूप में योगदान को देखते हुए उन्हें ये अधिकार प्राप्त हैं, योगी का परम स्नेह इन्हें भी प्राप्त है.
नौवां नाम डॉ. प्रदीप राव का जो महाराणा प्रताप जंगल धूसढ़ कॉलेज के प्राचार्य हैं. महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् का समस्त कार्य और योगी आदित्यनाथ द्वारा संपादित समस्त पुस्तकों का प्रकाशन कराने की जिम्मेदारी इन पर है. ये पीठ से 35 वर्षों से भी अधिक समय से जुड़े हैं. जो सीएम योगी के बेहद करीबी बताए जाते है.
– अभिषेक त्रिपाठी