यह कथा वास्तव में होते कितनों ने देखी है? एक मुझे बताई गयी, जिसे सुनकर लगा कि यह तो एक कार्यपद्धति है, केवल एक जगह की एक कथा नहीं हो सकती.
नाम परिचय आदि न देने की बाध्यता है, इसलिए बस कहानी सुनें.
एक धनी घर की बेटी. एक छोटा भाई. पिता उद्यमी, विदुषी माता शहर के नामचीन कॉलेज में अध्यापिका. बेटी घर की लाड़ली. बेटा भी, कोई भेदभाव नहीं.
घर का वातावरण सेक्युलर. सब धर्म समान, ईश्वर अल्ला तेरो नाम. जैसे अक्सर ऐसे घरों में होता ही है. छोटा परिवार सुखी परिवार.
यहाँ हुआ यूं कि केबल वाले ने लड़की से कनेक्शन विशेष जोड़ लिया. कानूनन बालिग थी, एक दिन घर से बाहर निकली तो लौटी नहीं. कहीं से फोन किया कि सकुशल हूँ, निकाह कर लिया है, मेरी चिंता न करें.
माँ बाप तो माँ बाप होते हैं, कोशिश तो की लेकिन पता नहीं मिला. फिर जैसे इस तरह कई हिन्दू घरों में होता है, चुप्पी साध ली गई. वैसे बंगलो टाइप में रहते थे और बहुत सोशल न थे तो बहुत पूछ ताछ भी न हुई.
कुछ महीनों बाद एक रविवार को लाड़ो लौटी अपने शौहर और ससुराल वालों के साथ. रिवाज के अनुसार फूला पेट पति के पराक्रम का बखान कर ही रहा था.
माँ बाप हक्के-बक्के थे ही, और हो गए जब जबर्दस्ती के जमाई और ससुराल वालों ने कहा कि हमें आप की संपत्ति में इसका हक दे दीजिये. साथ में एक वकील मियां भी आए थे.
पिता ने जैसे तैसे खुद को संभाला और दूसरे दिन आने को कहा. बेटी घर आई थी तो कहा रात रह ले. बेटी मान गयी.
ससुराल वालों ने एतराज किया लेकिन पिता जिद पर आए तो उन्होंने इस बात पर तलाक तलाक तलाक देने की बात नहीं की, संपत्ति का मामला जो था.
रात में पिता कुछ लोगों से मिले जिन्होने पहले कुछ खरी खरी सुना दी, लेकिन मौके की नजाकत समझ कर सहायता कर दी.
डीटेल मायने नहीं रखते, बस इतना समझ लीजिये कि ससुराल वालों ने महसूस किया कि मछली जितनी सोची थी उस से अधिक खूंखार निकली, और जान सब को प्यारी ही होती है, क्या नहीं ?
इतना भर बताया गया कि बेटी का पुनर्वसन हुआ. डिटेल्स मैंने पूछे नहीं क्योंकि बताने को कोई उत्सुकता नहीं दिखाई गयी.
एक बात समझ में आई कि सोच समझकर, घरबार की माली हालत देखकर चारा डाला गया था. नसीब की बात थी कि सही लोगों से परिचय था. ऐसी भी स्थिति नहीं थी कि यह परिचय होता, उनकी जैसी ही स्थिति कई लोगों की है, वे शायद लूटे जाते.
ये घर देख-भाल कर लड़की को फंसाना, फिर गुम करा देना और प्रेग्नंट होने के बाद ही ऐसे वक्त लाना कि प्रेग्नंसी से निजात पाना भी दिक्कत हो, संपत्ति में हिस्सा मांगना, उसके लिए साथ में लोग लाना, वकील भी ले आना – सब एक well rehearsed कार्यपद्धति सी लग रही है.
नाम पता मुझे बताया नहीं गया ना मैंने पूछा. चाहे तो इसे काल्पनिक कह लीजिये. लेकिन आप ने यही कार्यपद्धति से घटती घटना देखी ही होगी.