आभासी दुनिया ने मिलवाया बिछड़े बच्चों को वास्तविक माता-पिता से

हम चाहे इन्टरनेट की दुनिया को आभासी दुनिया कहते रहें, लेकिन इस आभासी दुनिया ने कई बिछड़ों को मिलवाया है.

मेरे अपने अनुभवों से एक किस्सा बता चुकी हूँ कैसे मेरी एक मित्र ने मेरे लेख के जरिये 30 साल बाद अपनी प्रिय सखी को खोज निकाला था. और उनकी वो सहेली मेरी ही बुआ थी.

ऐसे ही कई किस्से हमने पढ़े और सुने हैं. जिनमें से दो किस्से गुज़रे वर्षों में खबरों के माध्यम से पता चले थे वो ये हैं.

पहली खबर

बीजिंग. चीन के एक परिवार के लिए इंटरनेट ने जो कारनामा किया वह इनके लिए ताउम्र भूलना नामुमकिन है. लगभग 23 साल पहले शिहुआन प्रांत में रहने वाले एक दंपति की खुशहाल ज़िन्दगी उस समय ग़मज़दा हो गई जब किसी ने उनके 5 साल के बच्चे का अपहरण कर लिया. और 23 साल बाद अपने मासूम बच्चे को 28 वर्षीय नौजवान के रुप में अपने सामने पाकर इस दंपति की खुशी का अंदाज़ नहीं लगाया जा सकता. ये मिलन संभव हो सका दुनिया में लोगों को जोड़े रखने वाले इस दौर के सबसे सशक्त माध्यम इंटरनेट की वजह से.

आइए जाने दरअसल हुआ क्या था:  चीन में बच्चों के अपहरण की घटनाएं बहुत होती हैं और अपहृर्ता बच्चे को जरूरतमंद माता पिता को मोटी रकम पर बेच देते हैं. इसी कड़ी में अपराधियों ने 23 साल पहले शिहुआन प्रांत से इस बच्चे का अपहरण किया और उसे उसके घर से करीब डेढ़ हजार किलोमीटर दूर फुजियान के एक दम्पति को बेच दिया था.

बच्चे के मस्तिष्क में उसके बचपन की तस्वीरें थीं और उम्र बढ़ने के साथ ही उसमें अपने घर के लिए तड़प बढ़ती गई और वह लगातार अपने जैविक माता-पिता से मिलने के लिए प्रयास करता रहा. इसके लिए उसने इंटरनेट का सहारा लिया और अपने शहर की बचपन की तस्वीर गूगल मैप मे ढूंढना शुरू किया. वह अपने बचपन के शहर की यादों के जरिए गूगल के सहारे ढूंढता रहा और आखिर में वह अपने मिशन में सफल हुआ और उसे माता पिता से मिलने का मौका मिल ही गया.

एच ली नाम का यह युवक जब अपने माता पिता से मिला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. ली की मां ने मीडिया से कहा भी है कि वह पिछले 23 साल से सिर्फ अपने बच्चे के बारे में ही सोचती रही है और आज जब अपने बेटे को 28 साल के युवा के रूप मे देख रही है तो उसकी खुशी आसमान छू रही है.

इससे पहले भारत के कोलकाता मे बिछड़ा वह भारतीय बच्चा भी खूब चर्चा में रहा जिसे ऑस्ट्रेलिया का एक दम्पति अपने साथ ले गया था. इंटरनेट के जरिए इस युवक ने अपने घर का पता लगाया तो वह दशकों बाद इंदौर में अपने माता-पिता से मिल सका था.

दूसरी खबर

नई दिल्ली. अपनी माँ और बहन को हमेशा के लिए खो देने के दुःख से घिरे अमेरिका का आईटी विशेषज्ञ का उस समय खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उसने 44 साल बाद अपनी माँ को वापस पाया.

44 साल पहले अपने परिवार से बिछड़ कर भीख मांगने वाला बच्चा आज अमरीका में आईटी विशेषज्ञ है. किसी फ़िल्म की कहानी सी नजर आने वाली यह हक़ीक़त है किशन उपाध्याय नामक व्यक्ति की, जो अमरीका के उत्तरी केरोलिना स्थित डयूक विश्वविद्यालय के चार इंस्टीटयूट को टेक्निकल मदद देते हैं. अमेरिका में ही विवाहित किशन का अपनी माँ और बहन से मिलन हुआ.

माँ के जाने के बाद बेहाल ज़िंदगी

1969 में किशन के पिता गुवाहाटी में चौथी असम बटालियन में पोस्टेड थे. पिता के दुर्व्यवहार से तंग आ कर एक दिन किशन की माँ उसे और बेटी माया को छोड़ कर लापता हो गई. तब किशन की उम्र मात्र 4 साल की थी. इस घटना के बाद ही किशन की ज़िन्दगी के बुरे दिन शुरू हुए. मां के जाने के बाद किशन और उनकी आठ वर्षीय बहन माया को उनके पिता ने नेपाल में एक रिश्तेदार के यहां जाने के लिए रवाना किया.

भीख मांग कर भरा पेट

दुर्भाग्यवश बहन-भाई रास्ता भटक गए. रिश्तेदार के घर पहुंचने के बजाए ये दोनों काठमांडू की सड़कों पर भटकने लगे. दोनों ने काम की तलाश के साथ-साथ भीख माँग कर पेट भरना शुरू किया. तकदीर से किशन को पहले नौकरी मिली. किशन चार साल की उम्र में एक चाय की दुकान पर काम करने लगा. कुछ दिनों बाद बहन ने भी एक मंदिर के बाहर फूलों की माला बेचना शुरू कर दी.

बहन भी हुई लापता

कम उम्र में चाय की दुकान पर काम करने से किशन की सेहत बिगड़ने लगी. उसे निमोनिया हो गया. किशन की हालत बिगड़ते देख उसकी बहन माया ने उसे एक क्रिश्चियन मिशनरी के हॉस्पिटल में उसे भर्ती कराया. इलाज से किशन तो कुछ दिनों बाद ठीक हो गया लेकिन उसकी बहन माया उसे फिर नहीं मिली. किशन ने माया को खूब ढूंढा लेकिन उसका कहीं भी पता नहीं चला.

डॉक्टर ने बदली किस्मत

माया तो किशन को फिर नहीं मिली लेकिन इस हादसे के बाद किशन की जिंदगी में बदलाव आ गया. उसकी मुलाकात एक अमरीकी डॉक्टर से हुई. डॉक्टर ने किशन को स्कॉलरशिप की पेशकश कर अमरीका में पढ़ने की सलाह दी. किशन अमरीका चला गया. यहां उसने पढ़ाई की.

माँ-बहन से हुआ मिलन

पढ़ाई से लेकर आईटी विशेषज्ञ बनने तक किशन अपने परिवार को ढूढ़ने की लगातार कोशिश करता रहा. किशन ने फेसबुक के जरिए असम पुलिस के दो अधिकारियों से संपर्क किया. उन दोनों अधिकारियों ने किशन की मदद की.

उन्हें हवलदार बहादुर थापा से किशन के पिताजी के बारे में पता लगा. थापा ने किशन को बताया कि उसके पिता की मृत्यु 1988 में हो चुकी है. थापा से ही किशन को अपनी बहन के बारे में जानकारी मिली जिसकी शादी नेपाल में हुई थी. साथ ही किशन की माँ का भी पता लगा जो नेपाल के एक दूरदराज गांव में ज़िन्दगी बिता रही थी.

इसके बाद एक भारतीय टेलीविजन चैनल ने किशन की मदद की जिससे किशन का अपनी माँ और बहन से पुनर्मिलन हो सका. किशन बेशक आज आईटी विशेषज्ञ बन गया है लेकिन उसे अपने पिता से बिछुड़ने का दु:ख है.

(दोनों खबरें इन्टरनेट से प्राप्त)

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