पीएमओ वाले मोदी जी को गलत ब्रीफिंग कर देते हैं. श्रीलंका जा कर मोदी जी घोषणा कर आए कि भारत 1990 वाली एम्बुलेंस सेवा श्रीलंका के सभी प्रान्तों में देगा और चाय बागान वाले मजदूरों के बच्चों को छात्रवृत्ति भी देगा.
कोई तो प्रधानमंत्री जी को बताओ- श्रीलंका भारत का राज्य नहीं है… एक अलग देश है…
उधर लगे हुए हैं इंडोनेशिया, मॉरीशस और म्यंमार को ऊर्जा सप्लाय करने के प्लान को बनाने में…
लगता है किसी ने गलत भूगोल पढ़ा दिया है…
दरअसल चीन ‘वन बेल्ट वन रोड’ के द्वारा संपर्क जोड़ने की रणनीति पर काम कर रहा है जिसके अंतर्गत पीओके से रोड बना रहा है.
भारत ने दूसरी नीति अपनाई है जिसमें फिजिकल कनेक्टिविटी के साथ साथ एनर्जी डिप्लोमेसी भी शामिल है.
मोदी जी ने ‘सबका साथ सबका विकास’ का क्षेत्र बढ़ा कर पड़ोसियों को भी शामिल करने की नीति बना ली है.
चीन स्टिंग ऑफ पर्ल की नीति से भारत को घेरने का प्रयास कर रहा था. उसके उत्तर में भारत ने हिन्द महासागर में एनर्जी डिप्लोमेसी शुरू कर दी है.
हिन्द महासागर के एक तरफ मॉरीशस को अपना सहयोगी बना कर वहाँ पेट्रोलियम स्टोरेज और बंकरिंग का हब बनाने का प्रयास कर रहा है तो दूसरी तरफ इंडोनेशिया के साथ भी ऊर्जा संबंध बनाने में प्रयासरत है.
इंडोनेशिया हाइड्रोकार्बन का एक बड़ा स्रोत है… भारत वहाँ एक फ्लोटिंग स्टोरेज और रिगैसीफिकेशन यूनिट बना रहा है जिससे उसके हजारों आइलैंड्स में निर्बाध एनर्जी सप्लाय की जा सके.
इसी तरह म्यंमार में भी एक एलएनजी टर्मिनल बनाने पर विचार कर रहा है… ये सब भी तो आवश्यक ही है… नहीं, तो आप लोग बोलो तो सरकार इन सब कामों को छोड़ दे.