अमेरिका ने अब तक जो भी लडाइयां लड़ी है, उनमें से कोई भी देश परमाणु सम्पन्न देश नहीं था, उन लडाईयों में भी अमेरिका ने हर तरह से इतना कुछ खोया है कि उसे विजेता कहना बेमानी है, कुल रक्षा बजट का आधा तो उसे जापान देता है, इसलिये वो टिका रह सका.
उत्तरी कोरिया से 100 गुना ज्यादा पॉवरफुल होने के बावजूद वो उस पर अटैक करने का साहस नहीं कर पा रहा है, सिर्फ इसलिये क्योंकि वो भी परमाणु सम्पन्न है.
परमाणु युद्ध से मतलब है कि सूर्य इस धरती पर गिर गया, सबकुछ समाप्त! आने वाले 100 साल तक लूले – लंगड़े पैदा होंगे.
पाकिस्तान एक भिखारी देश है, जिसके पास खोने को कुछ भी नहीं है, बदले की आग में आत्महत्या करने पर तुल गया है, हम तो मरेंगे पर 40% भारतीयों को भी मारकर मरेंगे, परमाणु बम तो हमारे से ज्यादा है, उसके पास.
सैन्य ताकत में कोई हाथी, घोड़े का फर्क नहीं है, पर वो चाहता है कि पहल भारत करे, इसलिये वो बार-बार उकसा रहा है, ताकि सारे मुस्लिम राष्ट्र उसके साथ भारत के खिलाफ खड़े हो सके, और पूरा अंतर्राष्ट्रीय दबाव भारत पर हो.
इधर चीन हमारा सबसे बडा दुश्मन है, जो चाहता है कि भारत-पाक में युद्ध हो, और भारत 100 साल पीछे चला जाये, और युद्ध होने पर वो भी आप पर आक्रमण करेगा, अरुणाचल तो हाथ से जायेगा ही.
अमेरिका भी ये युद्ध चाहता है ताकि उसके हथियार की बिक्री ज्यादा हो,उसकी तो पूरी इकोनॉमी ही इसी पर टिकी है, बाहर से वो दिखावा करता है कि वो भारत के साथ है!
देश के अन्दरुनी हालात गृहयुद्ध जैसे है, जैसे ही युद्ध हुआ, शान्तिदूत, शांति भंग कर देंगे, तीन तलाक को उन पर छोड़ देने के पीछे यही कारण है, आखिर अभी किस-किस से लडेंगे!
मोदी जी जब आये, तब सिर्फ 7 दिन लड़ने का गोला बारुद था, अभी भी स्थिति कोई ज्यादा बढ़िया नहीं है, अभी थोड़ा और समय चाहिये.
पर भारत के सभी दुश्मनों को अच्छी तरह से मालूम हो गया है कि अगर अधिक समय तक कुछ न किया गया, तो मोदी का भारत अपराजेय हो जायेगा. अब कुछ सैनिकों के मरने पर आपा खोना बुद्धिमानी नहीं है.
जिस तरह से पाक छुपा युद्ध कर रहा है, उसी तरह से युद्ध करने में महारत हासिल करनी होगी. क्यों ज्यादा मर रहे हैं हमारे सैनिक, उनके ज्यादा सैनिक मरने चाहिये, और अगर हम उनके ज्यादा सैनिक नहीं मार सकते है, तो फिर इस बात की कोई गारन्टी नहीं है कि आप युद्ध जीत जाये.