अमिताभ बच्चन एक मनुष्य, एक भारतीय के तौर पर कुछ भी हों, एक्टर के तौर पर ‘असंभव’ हैं. हमारे अभागे भारतीय समाज ने जैसे राजकमल चौधरी की किस्सागो के तौर पर उनकी ज़िंदगी तक इज्जत नहीं की, कुमार गंधर्व के बेटे को शराबी और बेघर बना दिया, उसी अभागे समाज ने अमिताभ बच्चन के अंदर के अभिनेता को नचनिया और बजनिया बना दिया.
उसी दौर और लहर के हॉलीवुड के अल पचीनो को देखिए. क्या शानदार उपयोग और रेंज है उस अभिनेता की. अमित जी क्या कर रहे हैं…. गोविंदा और मनीषा कोइराला के साथ गाना गा रहे हैं.
इस आदमी की प्रतिभा का अगर 5 फीसदी भी हिंदी सिनेमा ले लेता न, तो वह विश्व-पटल पर छा जाता और अमित जी की भी पता नहीं क्या ज़िद है, कितना पैसा कमाने की? गंध पर गंध फैलाए जाते हैं…
ये सारी बातें क्यों? सरकार-3 देखने के बाद. गज़ब सन्नाटा है, सोशल मीडिया पर भी. यह फिल्म नहीं है, एक राजनीतिक कविता है. अमिताभ बच्चन को मनोज वाजपेयी ही टक्कर दे सकते थे, सो उन्होंने दी है. जैकी श्रॉफ भी Most underrated performer रहे हैं. इस फिल्म में उन्होंने निजी ज़िंदगी का सारा गुस्सा कैमरे पर उंड़ेल दिया है.
सिनेमेटोग्राफी रामू की हरेक फिल्म की तरह गज़ब है. चाहे, वह चाय के कप की डंडी से झांकती हीरोइन का चेहरा हो, या फिर अमिताभ का अपनी पत्नी के पास पलंग पर बैठना. एक-एक सीन आपको पीना पड़ेगा. इस फिल्म को आप कोल्ड-ड्रिंक पीते हुए नहीं देख सकते. और हां, रामू फिर से फीनिक्स की तरह उठ खड़े हुए हैं और उन्होंने अनुराग कश्यप जैसे चमन को दिखा दिया है कि अपराध कथा के साथ राजनीति की चाशनी घोलना रामू का ही forte है, अनुराग अभी बुतरू हैं, वोडका पिएं.
यानी, गज़ब किया है. सबने. सबसे चमन पोता बना हुआ अभिनेता है, लेकिन दिग्गजों के बीच वह खड़ा रह गया, बेहोश नहीं हुआ, यही बड़ी बात.
यह पोस्ट केवल अमितजी की बड़ाई और सरकार-3 के प्रमोशन के लिए थी. अभी तक नहीं देखी, तो जाइए और देखिए- अमिताभ बच्चन क्यों अमिताभ बच्चन हैं.
असंभव, अद्भुत, अविश्वसनीय, अनिर्वचनीय……..