योगी जी, ये जो आप भाजपा कार्यकर्ताओं को उनकी औकात का दर्शन करा देते हो, तो ऐसा करके क्या चाह रहे हो! क्या करें कार्यकर्ता? मिट्टी के ढेले बन जाएँ…
400 बूथ, 4 लाख वोटर, दस लाख जनता का प्रतिनिधि होता है आपका MLA… और ऐसे 5-7 विधायकों के ऊपर आपका जिलाध्यक्ष होता है… कितनी क्षमता हो सकती है इनकी…
और वैसे भी अब गली-मोहल्ले का सामान्य नागरिक, विधायक या जिलाध्यक्ष के पास तो किसी काम के लिए जाएगा नहीं… और जाए भी क्यों और कैसे! क्योंकि ना तो उसका सीधा परिचय विधायक से है और ना ही जिलाध्यक्ष उसको जानता है…
सीधी-सिंपल बात है, उसके पास तो बूथ या सेक्टर लेवल कार्यकर्ता ही वोट के लिए और पार्टी प्रचार के लिए आया था… सो वो तो अपने कामों के लिए उसे ही पकड़ेगा…
अब आपने अपने आवास का तो शुद्धिकरण कर लिया है लेकिन अखबार और टीवी में आपकी मशीनरी के गंगाजल से शुद्धि का समाचार तो अभी तक आया नहीं है… क्या करे अब कार्यकर्ता…
राकेश का मोबाइल कहीं गिर गया है… थाने में उसकी एप्लिकेशन रिसीव करने के लिए मुंशी सौ का नोट मांग रहा है…
अब वो कार्यकर्ता के पास जाता है… क्या करे कार्यकर्ता? क्या वो MLA को फोन करे या जिलाध्यक्ष को…
या फिर वो थाने जाकर सौ की जगह 50 का नोट दिलवा कर एप्लीकेशन रिसीव करा आए… या की मुंशी के आगे से मोहर उठा कर प्रतिलिपि पर ठोक के मुंशी से कहे ‘लो चिड़िया मार दो.’
गली में बिजली का तार टूटा हुया है… गली वाले विद्युत् सब-स्टेशन पर गए तो संविदा वाला लाईनमैन आया लेकिन उसकी न्यौछावर के लिए 200 रूपये इकट्ठे ना होने पर वह गिरे तार को वहीं काट कर लटका के सुबह आने की कह कर चला जाता है…
अब गली वाले कार्यकर्ता को घेरते हैं… कार्यकर्ता फटाफट अधिकारियों को फोन लगाता है लेकिन मशीनरी के उच्च मनोबल के चलते का फोन रात में अधिकारी उठा नहीं रहे…
क्या करे वो? श्रीकांत शर्मा जी को ट्वीट करे या आपको… MLA और जिलाध्यक्ष तो रात में फोन उठायेंगे नहीं और ना ही इतने छोटे काम के लिए वे किसी अधिकारी को बोलेंगे ही…
अब वो कार्यकर्ता कैसे बचाए आपकी भाजपा की इज्जत… अब वो सुबह अधिकारियों के हाथ-पाँव जोड़े या बिजलीघर जाकर JE से गाली गलौच करे…
स्कूल में टीचर हरामखोरी पर हैं… मिड डे मील भी ठीक से नहीं बन रहा… क्या करे वो दिनेश शर्मा जी को फोन लगाए या प्रिंसिपल साब या ABSA को हड़का कर काम चला ले…
सड़कें 15 जून तक गड्ढामुक्त करने का आपका आदेश है… रोड पर माल घटिया लग रहा है… क्या करे कार्यकर्ता? केशव प्रसाद मौर्या जी को ही शिकायत करे या वहीं काम रोक कर मेट को भगाये कि वो JE/ AE को बुला कर लाये…
पानी की फूटी पाइप लाइन आठ दिन से खराब है… क्या कार्यकर्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह जी को ही शिकायत करे या जलनिगम के एग्जीक्यूटिव इंजिनियर की टेबल पर मुक्का मार के एक दिन के अंदर लाइन की मरम्मत की वार्निंग देकर आए……
जुए-शराब के अवैध अड्डे चल रहे हैं… रोड पर डग्गे मार वाहनों से वसूली हो रही है… अवैध खनन हो रहा है… कार्यकर्ता, इंसपेक्टर, CO, SP, SSP, DIG की हुजूरी में खड़ा हो जाये… इंसपेक्टर से अपना हिस्सा सेट कर ले… या साफ कह आए ‘इंसपेक्टर साब, आप कल ये स्टार वाली वर्दी नहीं पहन पाओगे…’
क्या करें कार्यकर्ता… जब गौ से लदा वाहन उनको दिख जाये… आपसे वीडियो कॉलिंग करे… या DGP सुलखान सिंह जी से या फिर लोकल पुलिस और ट्रक वाले से अपना हिस्सा मांग ले…
या अपने अंदर से उठ कर आ रहे रक्त के उबाल को लिए वो वहाँ से भाग जाये… क्या करे वो… नपुंसक बन गौ माता को कट्टी के लिए जाने दे… या अकेला ही भिड़ कर गौ तस्करों के हाथों मारा जाय… उसको तो अपने साथी बुलाने ही पड़ेंगे ना…
योगी जी, सारे हालत लिखने बैठूँगा तो पूरी रात निकल जाएगी… आप तो अपनी पढ़ाई खत्म करते ही सीधे सांसद बन गए… इतना हाई प्रोफाइल मठ मिल गया… अपने गुरु के दसियों लाख चेले मिल गए… और कभी दबाव पड़ा तो लोकसभा में रो लिए…
लेकिन कार्यकर्ताओं की बेचारगी और मजबूरी तो केवल फील्ड का निचले स्तर का ही कार्यकर्ता समझ सकता है ना, जिसने वनवास के 15 वर्ष तिल-तिल गल कर… हर पल अपमान सह कर… केवल अपनी पार्टी के लिए जी कर काटे हैं…
आपके ‘कानून का सम्मान… कानून की सीमा…’ जैसे शब्द उसको अपने ऊपर जूते के प्रहार से लगते हैं…
अरे कार्यकर्ता की गुंडागर्दी और कानून की अवहेलना कर सकने की क्षमता और शक्ति के बूते पर आप CM पद पर आसीन हैं… मशीनरी आपकी है… आपका दायित्व है कि इस मशीनरी की चाल कार्यकर्ता को कानून की अवहेलना और गुंडागर्दी के मार्ग पर भटकने को मजबूर ना करे…
अंततः आपकी पार्टी का कार्यकर्ता, हर पार्टी और स्वयं अपनी पार्टी के बड़े से बड़े नेता से कहीं ज्यादा ईमानदार और जिम्मेदार है…
आप उसको यूं हर रोज अपमानपूर्ण सीमाएं दिखा कर 2019 के नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह जी लक्ष्य के लिए बहुत खतरनाक जोखिम ले रहे हैं.