आज माँ का दिन है तो माँ पर गाढ़ी गाढ़ी कविताएं भावनात्मक लेख अम्मी मम्मी शब्दो की भरमार लिए हुए नयी नयी रेसिपीज़ तो आप को खूब पढने को मिलेगी जरा कुछ अलग कहना चाहूंगा.
कभी एक लेख पढ़ा था स्पर्श विज्ञान पर कि अभी तक जितना इस जगत को जाना गया है भौतिक विज्ञान की दृष्टि से उसमें कोई जड़ या चेतन चीज़ किसी चीज़ को परस्पर नहीं छू सकती.
मतलब स्पर्श करने पर भी हम उस चीज़ को नहीं छूते, बीच में इलेक्ट्रॉन्स की एक क्रियाशील परत रहती है. इसकी गणना अनेक शून्यों में होगी. कुल मिलाकर हम सब परस्पर अछूते है. बस क्रियाशील परम-अणु परस्पर नज़दीक आते है पर छूते नहीं.
पर उसी भौतिक विज्ञान का कहना है के माँ के गर्भ में हमारे निर्माण से जन्म प्रक्रिया के दौरान सिर्फ माँ ही वो एक मात्र भौतिक संरचना है जो हमारी भौतिक संरचना को इतना नज़दीक से छूती है कि ज़ब वो बीच की परम-अणु परत सब से ज्यादा झीनी रही होती है. यानी सब से समीप का एक मात्र स्पर्श.
ये तो बात हुई कैसे विज्ञान एक माँ को समस्त संसार से हमारी निकटता की गणना करता है.
ऐसे ही अगर हम बात करें मनोविज्ञान और क्रियाकलाप की तो माँ होना कोई क्रियाकलाप नहीं है.
आज की Working Mom के चलते या फिर जन्म के दौरान कोई स्त्री अपने प्राण खो दे और बच्चा पैदा हो जाए तो उसके लिए, माँ के दायित्व के सारे काम मसलन स्तन पान से ले,कर बच्चे को सम्भालने के लिए सब का विकल्प मौजूद है. सूखे दूध के डिब्बे से लेकर आया तक. यानी ये सारे काम भी एक माँ के अलावा जगत में सम्भव है.
फिर माँ में अलग क्या है, जी वो भी है जन्म देना. क्योकि टेस्ट ट्यूब बेबी को भी अंततः गर्भ चाहिए. माँ के गर्भ में स्रावित होने वाला रज किसी लैब में नहीं बन सकता. जो हमारी इस भौतिक संरचना का मूल है.
एक माँ जब जन्म देती है तब जन्म ही नहीं देती स्वयं दूसरा जन्म लेती है. प्रसव की पीड़ा की यदि गणना की जा सके तो इसकी गणना हमारे फौरी तौर पर शरीर की सारी हड्डियां एक साथ टूटने से की जायेंगी. ये कमतर आंकलन है.
इस तरह माँ होना एक विशेष शारीरिक क्षमता है ये समस्त मादा समाज की धरोहर है. एक चींटी से लेकर हाथी और एक मनुष्य से लेकर पक्षी. प्राणी जगत में मादा समाज को ये विशेष क्षमता मिली है. एक पशु जगत की माँ भी उतनी ही माँ है जितनी एक मनुष्य जगत की माँ.
एक शेरनी जिस जबड़े से विशाल हाथी की गर्दन तोड़ देती है वही शेरनी जब अपने शावक को उठाती है तब वही वज्रघाती जबड़ा ईश्वरीय सत्ता का स्पर्श बन जाता है.
माँ एक भौतिक सम्बन्ध नहीं योग माया प्रकृति का वो गुण है जिसे ईश्वर ने अपनी पोषणी शक्ति कहा है.
आइए इस मातृत्व को हम प्रणाम करे जिसके बिना ईश्वर भी हमारी संरचना नहीं कर सकता.
प्यारी माँ मम्मा. 🙂