अरब का इतिहास : भाग-8

तौरात के उत्पत्ति ग्रन्थ से हमें जो जानकारी मिलती है उसके अनुसार जब हाजरा हामिला हुई थी तबसे ही दोनों सौतनों में झगड़े होने लगे थे. सारा इब्राहीम के पास शिकायत लेकर पहुँच गई कि अब चूँकि ये लौंडी गर्भ से है और मैं नहीं हूँ, इसलिये वो मुझे हकीर (कमतर) समझती है.

[अरब का इतिहास : भाग-7]

इस पर इब्राहीम ने सारा से कहा, वो तेरी लौंडी है उस पर तेरा हक़ है, तू उसके साथ जो चाहे कर. उसके बाद सारा उसके ऊपर सख्ती दिखाने लगी जिससे आजिज आकर हाजरा घर छोड़ कर भाई गई.

[अरब का इतिहास : भाग-6]

फिर किसी फ़रिश्ते के समझाने के बाद वो वापस सारा के पास आ गई और उसे इस्माइल नाम का पुत्र हुआ. इब्राहीम जब पिता बने उनकी उम्र छियासी साल की थी.

[अरब का इतिहास : भाग-5]

जब इब्राहीम सौ साल के हुए तो उनका खुदा के साथ संवाद हुआ और उन्हें और उनकी बूढ़ी पत्नी सारा को एक औलाद की खुशखबरी दी गई. फिर इब्राहीम को सारा से इसहाक नाम का एक और पुत्र हुआ.

[अरब का इतिहास : भाग-4]

जब सारा भी औलाद वाली हो गई तो दोनों सौतनों में फिर से क्लेश बढ़ गया और सारा ने इब्राहीम से साफ़ कह दीजिये कि इस लौंडी के बेटे को मैं तेरा वारिस नहीं बनने दूँगी. सारा के दबाब में इब्राहीम ने अपनी लौंडी और उससे हुए बच्चे इस्माइल को घर से निकाल दिया.

[अरब का इतिहास : भाग-3]

घर से निकालते वक्त इब्राहीम ने उन्हें बस कुछ रोटी और पानी का मश्क ही दिया. बेचारी हाजिरा अपने बेटे को लेकर बियाबान में भटकने लगी. जब रोटी और पानी दोनों खत्म हो गये तो वो अपने बेटे को एक झाड़ी के पास रखकर वहां से दूर जाकर बैठ गई ताकि पानी के अभाव में बेटे को तड़प-तड़प कर मरते हुये न देख सके.

[अरब का इतिहास : भाग-2]

फिर कोई फ़रिश्ता आता है और उसे एक कुआँ दिखाता है है जिससे दोनों की जान बचती है, बाईबल के अनुसार हाजिरा और इस्माइल जहाँ आबाद हुए थे वो फारान का बंजर, बियाबान और रेगिस्तानी इलाका था.

[अरब का इतिहास : भाग-1]

इस्माइल और हाजिरा को लेकर इस्लामिक और यहूदी मान्यताओं में बड़ा फ़र्क है पर तमाम अंतरों के बावजूद एक बात दोनों में समान है कि इब्राहीम ने अपने बच्चे और बीबी को घर से निकाल दिया था और वो भी उनके राशन-पानी और सुरक्षा का इंतज़ाम किये बिना. उन दोनों को बियाबान रेगिस्तान में खूंखार जंगली जानवरों के बीच भूखा-प्यासा छोड़ दिया गया.

[अरब का वो इतिहास जिसे हम सबको जानना चाहिये]

इस्माइल और हाजिरा के बारे में इस्लामिक मान्यता क्या है इसकी चर्चा तो आगे भी होगी पर एक बात यहाँ तवज्जो-तलब है और वो ये कि अपने अतीत में इब्राहीम द्वारा अपने बच्चे और बीबी/लौंडी के परित्याग का इतिहास रखने वाले जब राम द्वारा सीता के परित्याग पर प्रश्न उठाते हैं तो बड़ी हैरत होती है, वो भी तब जबकि राम ने सीता को किसी रेगिस्तान में नहीं बल्कि ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में छोड़ा था.

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