“गुजरात के लोग सेना में भर्ती नहीं होते इसलिये शहीद भी नहीं होते. शहीद होते हैं यूपी, एमपी, बिहार और साउथ के सैनिक… इसीलिये मोदीजी सैनिकों के शहीद होने पर पाकिस्तान को जवाब नही देते…”
ये बयान किसी नौसिखिये फेसबुकिए या किसी नवक्रांति शावक वामपंथी का नहीं है. ये बयान है कुछ दिन पहले शहीद आयुष यादव के घर जाकर अपनी वीआईपी ठसक दिखाने वाले यूपी के पूरे पाँच साल तक मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव का.
पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है, कुछ समय के लिये सम्मान भी लेकिन अक्ल पैसे से नहीं आती, ये अखिलेश यादव ने फिर साबित कर दिया है.
आईआईटी खड़कपुर केजरीवाल पर और हावर्ड यूनिवर्सिटी अखिलेश यादव पर केस स्टडी ज़रूर करेगी कि आखिर ये लोग यहाँ तक पहुँचे कैसे?
अखिलेश के पिता देश के रक्षा मंत्री थे कभी. एक बार उनसे ही जाकर पूछ लेते कि पश्चिमी भारत से, गुजरात से सैनिक होते है या नहीं?
इस हवाबाज़ को तो ये भी नहीं पता होगा कि गुजरात की सीमायें भी पाकिस्तान से मिलती हैं और कच्छ के रण में ज्यादातार स्थानीय लोग ही बीएसएफ में है.
कुछ लोग प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करते-करते कब देश का विरोध करने लगते हैं उन्हें पता ही नहीं चलता?
चुनाव में इतनी तगड़ी मार पड़ने पर भी अखिलेश यादव को अक्ल नहीं आ रही है तो अब ‘अक्ल दाढ़’ आने की सम्भावना ‘शून्य’ है.
समाजवादियों! जब तक समाजवादी पार्टी है तब तक तुम्हे इनका का ही समर्थन करना है, इसलिये दिल पर पत्थर रखो और समर्थन शुरू कर दो.