भाई ये तो बड़े दूध के धुले हैं, छोटे-मोटे ‘पाप’ इनके माफ़ हो जाने चाहिए

सोमनाथ के मंदिर वाले किस्से में नया क्या है? कुछ भी नया नहीं है, वही घिसा पिटा पुराना सा किस्सा है.

एक महमूद जब हमला करने आ रहा होता है तो उसे पता था बचाव करने वाले जी जान से लड़ेंगे. उसने मामूली सी युक्ति अपनाई, अपनी फौज़ों के आगे गायें दौड़ा दी.

अब सिखाने वालों ने सिखाया, गाय पर प्रहार तो भयानक पाप हो जाएगा! मत चलाओ तीर-तलवार. सुरक्षाकर्मी बैठे रहे और महमूद आकर सबको काट गया.

जो लूट कर, औरतों-बच्चों को गुलाम बनाकर ले गया वो अलग. फिर से इसलिए याद आता है क्योंकि हरकतें बार-बार वैसी ही होती हैं.

अब ये भूतपूर्व आ आ पा वाला कपिल मिश्रा है जिसके लिए अचानक सबको याद आने लगा है कि इसके पिताश्री तो संघ प्रचारक थे.

ये भी याद आ गया कि इनकी माताश्री तो भाजपा के ही टिकट पर मुनिसिपल्टी का चुनाव लड़ती थी. इसलिए भाई ये तो बड़े दूध के धुले हैं, छोटे मोटे “पाप” इनके माफ़ हो जाने चाहिए.

मेरी समझ से ये तो वही कपिल मिश्रा है जो कल तक जे.एन.यू. वाले नारेबाजों का समर्थन कर रहा था.

ये वही है जो कल तक गौमांस की पार्टी देने की वकालत भी कर रहा था. ये बिलकुल वही है जो मेरे देश के प्रधानमंत्री को नपुंसक और आईएसआई का एजेंट भी कह रहा था.

रावण को सिर्फ इसलिए “बख्श” दिया जाए क्योंकि ऋषि विश्रवा का बेटा है?

अरे एक भेड़िया झुण्ड के बाहर आया है इस से बेहतर उसके शिकार का मौका और क्या होगा? हम ना दिखाते कपिल मिश्रा के लिए सहानुभूति. मारो पानी चोर, टैंकर घोटालेबाज को!

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