अब्राहम के संबंध में दो बातें बड़ी मशहूर है. एक ये कि ये नाम हिन्दुओं के त्रिदेवों में एक ब्रह्मा के नाम हिब्रू रूपांतरण है. ऐसा कहने वालों का तर्क है कि अब्राहम का मूल नाम अब्राम था जो बाद में यहोवा के साथ वाचा बाँधने के कारण अब्राहम हो गया.
तौरात के उत्पत्ति ग्रन्थ के अनुसार अब्रहाम का अर्थ है ‘कई कौमों का बाप’. भारतीय परंपरा में भी ब्रह्मा को सभी देवताओं, दानवों और मानवों का पितामह माना जाता है. अब्राहम को ही अरबी में इब्राहीम कहा गया है.
ब्रह्मा और अब्राहम में साम्यता ढूँढने वालों का एक तर्क ये भी है कि कुरान में इब्राहीम के बारे में आता है कि सबसे पहले उन्हें ही सहीफे (किताब) दिए गये थे और इसी तरह भारतीय परंपरा में भी ये माना जाता है भगवान विष्णु की प्रेरणा से सरस्वती ने सर्वप्रथम ब्रह्मा जी को सम्पूर्ण वेदों का ज्ञान कराया.
साम्यता ढूँढने वालों का तर्क ये भी कि ब्रह्मा की पत्नी सावित्री और अब्राहम की पत्नी सारा के नाम में भी समानता है, वो ये भी कहतें हैं कि ब्रह्मा के मानस पुत्र अंगिरस ही उनके बेटे इसहाक थे.
अब्राहम के जुड़ी दूसरी महत्वपूर्ण, रोचक और हैरान करने वाली बात है कि उनकी कथा और हमारे यहाँ के भक्त प्रहलाद की कथा में काफी कुछ साम्यता है.
प्रहलाद का अपने पिता हिरण्यकश्यप के साथ ईश्वर की अवधारणा को लेकर मतभेद था और इब्राहीम की कथा में भी ऐसा ही कुछ है.
प्रहलाद के ऊपर उसके पिता यानि उस वक़्त के शासक हिरण्यकश्यप ने बड़े अत्याचार किये थे, उनको जीवित ही अग्नि में झोंक दिया था, ऐसा ही इब्राहीम के साथ भी उस वक़्त के बादशाह नमरूद ने भी किया.
[अरब का वो इतिहास जिसे हम सबको जानना चाहिये]
इब्राहीम को भी आग में डाला गया था पर दोनों ही ईश्वर की कृपा से बचा लिए गये. नमरूद और हिरण्यकश्यप दोनों का अंत ईश्वर के दंड के परिणामस्वरुप हुआ था.
बहरहाल हमारा विषय ये नहीं है, कुछ जिज्ञासुओं के लिये ये बातें लिखी. अगली किस्त मूल विषय को समाहित करती हुई होगी.
डिसक्लेमर : ये पूरी सीरीज़ मैं अपने अध्ययन और याददाश्त के आधार पर लिख रहा हूँ, अभी जहाँ रह रहा हूँ वहां अभी मेरे पास अपनी निजी लाईब्रेरी की समस्त किताबों का सिर्फ पांच से दस प्रतिशत ही मेरे पास है इसलिये हरेक तथ्य के साथ सन्दर्भ ग्रन्थ की सूची देना संभव नहीं है.
वैसे भी ये सीरीज शुरू करने से पूर्व ही मैंने कहा था कि “इसमें कोई अकादमिक महत्व की बातें न खोजे क्योंकि ये महज जानकारी के लिये लिखी जा रही है”, मगर इसका अर्थ ये नहीं है कि इसमें लिखा कोई तथ्य निराधार, भ्रामक या एकतरफा है.
कोई ये नहीं कह सकता कि मैं कुछ बेबुनियाद या बिना आधार का लिख रहा हूँ. अगर भविष्य में इसे किताब रूप में लिखने का मौका मिला तो वहां हरेक बातों और तथ्यों का संदर्भ अवश्य दूंगा.