अरब का इतिहास : भाग-6

अरबों की तीसरी किस्म मुस्तारेबा के बारे में समझने के लिये हमें यहूदी इतिहास कथाओं में जाना होगा क्योंकि ये कड़ी वहीँ जाकर जुड़ती है. इब्राहीम से इसका ताअल्लुक है, ये इब्राहीम वही हैं जिनसे हर सेमेटिक मज़हब वाला अपना संबंध जोड़ता है और उनको अपना पितृ-पुरुष मानता है.

[अरब का इतिहास : भाग-5]

इब्राहीम के बारे में जानने के तीन जरिये हैं, एक है तौरात जिसके पहले अध्याय यानि उत्पत्ति ग्रंथ में उनका बड़ा विशद वर्णन आया है. दूसरा है कुरान, हदीसें और इस्लाम से संबद्ध और दूसरी किताबें और तीसरी है भविष्य पुराण जिनमें उनका ‘अविराम’ नाम से वर्णन मिलता है.

[अरब का इतिहास : भाग-4]

तौरात और इस्लामी ग्रंथों में इब्राहीम का जो वर्णन है उसमें बहुत ज्यादा विभेद है. उदाहरण के लिये तौरात में इब्राहीम के पिता का नाम तेरह (तारा) आया है तो वहीं कुरान कहता हैं कि उनके पिता का नाम आज़र था.

[अरब का इतिहास : भाग-3]

परन्तु कुरान से यह बात साबित है कि इब्राहीम जिस शहर में पैदा हुए थे वो प्रकृति पूजक और मूर्ति में ईश्वर देखने वाले लोग थे. उनके लोग चाँद और नक्षत्र की पूजा करते थे.

[अरब का इतिहास : भाग-2]

तौरात और इस्लामी ग्रंथों के अनुसार इब्राहीम इराक के शहर उर में पैदा हुए थे जबकि दूसरी मान्यता कहती है कि वो पैदा तो इराक में ही हुए थे पर शहर का नाम कोशा था न कि उर.

[अरब का इतिहास : भाग-1]

उनकी पैदाइश में बारे में कहा जाता है कि वो ईसा से करीबन 2000 साल पहले पैदा हुए थे. इब्राहीम का पहला निकाह सारा नाम की लड़की से हुआ था जो उनकी चचाजाद बहन थी.

[अरब का वो इतिहास जिसे हम सबको जानना चाहिये]

तौरात कहती है कि दमिश्क के पास के एक शहर हारान से वो अपने पिता की मृत्यु के पश्चात निकल गये और कनान देश में जाकर बस गये. वहां उनके साथ उनके भाई हारान का बेटा यानि उनका भतीजा लूत भी था.

फिर वहां से अब्राहम (इब्राहीम) मिस्र चले गये. सारा की खूबसूरती पर लट्टू होकर वहां के बादशाह ने सारा का अपहरण कर लिया पर इब्राहीम ने उससे ये कहकर कि ‘ये मेरी बहन है’ किसी तरह मुक्त कराया.

मिस्र से कनान लौटते हुए इब्राहीम और सारा ने एक लौंडी को भी साथ लिया जिसका नाम हाज़रा था. विवाह के अनेक वर्ष के पश्चात् भी जब सारा से इब्राहीम की कोई औलाद नहीं हुई थी तो औलाद के लालच में सारा ने इब्राहीम से कहा कि तू उस लौंडी के पास जा, संभव है कि मेरा घर उसके द्वारा बस जाये. फिर इब्राहीम को हाज़रा से इस्माइल नाम का पुत्र हुआ.

ये कथा मुस्लिम और यहूदी के बीच झगड़े की सबसे बड़ी वजह है. इसका कारण ये है कि इब्राहीम और हाजरा के ताअल्लुक को लेकर यहूदी ग्रन्थ तौरात और इस्लामी ग्रंथों में बड़ा जबरदस्त मतभेद है.

तौरात में ऐसा कोई वर्णन नहीं है कि इब्राहीम ने हाजरा से निकाह किया था जबकि इब्ने-हजर जैसे इस्लामी विद्वान कहते हैं कि हाजरा लौंडी नहीं थी बल्कि मिस्र के राजा के बेटी थी और उनका इब्राहीम के साथ निकाह हुआ था.

बाद में बीवी सारा से भी इब्राहीम को एक औलाद हुई जिसका नाम इसहाक था. अब झगड़ा ये है कि पूरा अरब जगत इस्माइल को अबू अरब यानि अरबों के पितामह के रूप में जानता है और पूरी उम्मते-मुस्लिमा खुद को इस्माइल वंशी कहता है और इधर यहूदी जगत खुद को इसहाक वंशी मानते हैं.

अब अपने ग्रन्थ के आधार पर यहूदी इस्माइल वंशियों को ये कहते हुए हेय समझते हैं कि ज़रखरीद दासी से पैदा हुई औलाद के वंशज सम्मान के लायक कैसे हो सकते हैं जबकि इधर मुस्लिम दावा इसके बरअक्स है.

डिसक्लेमर : ये पूरी सीरीज़ मैं अपने अध्ययन और याददाश्त के आधार पर लिख रहा हूँ, अभी जहाँ रह रहा हूँ वहां अभी मेरे पास अपनी निजी लाईब्रेरी की समस्त किताबों का सिर्फ पांच से दस प्रतिशत ही मेरे पास है इसलिये हरेक तथ्य के साथ सन्दर्भ ग्रन्थ की सूची देना संभव नहीं है.

वैसे भी ये सीरीज शुरू करने से पूर्व ही मैंने कहा था कि “इसमें कोई अकादमिक महत्व की बातें न खोजे क्योंकि ये महज जानकारी के लिये लिखी जा रही है”, मगर इसका अर्थ ये नहीं है कि इसमें लिखा कोई तथ्य निराधार, भ्रामक या एकतरफा है.

कोई ये नहीं कह सकता कि मैं कुछ बेबुनियाद या बिना आधार का लिख रहा हूँ. अगर भविष्य में इसे किताब रूप में लिखने का मौका मिला तो वहां हरेक बातों और तथ्यों का संदर्भ अवश्य दूंगा.

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