कुछ दिन पहले डिस्कवरी चैनल पर एक डॉक्यूमेंटरी देख रहा था… जिसमें दिखाया गया कि एक कुत्ता एक डूबते जहाज़ पर फंस गया था… जिसे रेस्क्यू मेंबर बचाने के लिए पहुंचे थे… समुद्र में तूफ़ानी लहरें भी चल रही थी…
ऊपर से हेलिकॉप्टर से उस कुत्ते को बचाने के लिए एक रेस्क्यू मेंबर रस्सी के सहारे नाव पे उतरा… तेज़ हवा में हेलीकॉप्टर भी डगमगा रहा था…. करीब 20 मिनट की भारी मशक्कत के बाद रेस्क्यू टीम उस कुत्ते के बच्चे को बचा लेती है…
मैंने देखा कि पश्चिम समाज जानवरों को लेकर कितना संवेदनशील है… भारत में अगर ऐसा वाकया होता तो हेलीकॉप्टर तो दूर की बात है कोई रेस्क्यू टीम कुत्ते को बचाने के नाम पर समुद में जाती तक नहीं…
वहां जंगलों में जानवरों पर रिसर्च करने के लिए अमरीकी और यूरोपीय देशों की सरकारें पानी की तरह पैसा बहा रही है… विलुप्त होते जानवरों और पक्षियों के संरक्षण के लिए अरबों डालर का निवेश हो रहा है…
आप नेशनल जियोग्राफी या फिर एनिमल प्लानेट या फिर हिस्ट्री चैनल उठा कर देख लीजिये… आपको जंगलों में भारतीय रिसर्च स्कॉलरों से ज्यादा अमेरिकी या ब्रिटिश रिसर्च स्कॉलर दिखाई देंगे…
आज जो हम डिस्कवरी और अन्य चैनल्स पर जंगल, समुद्र और भूगर्भ से जुड़ी रोचक जानकारियां और कभी ना देखे जाने वाले चित्र देखते हैं जो समुद्र के अन्दर हज़ारों फीट की गहराइयों से ली गयी है… ये सब किसकी बदौलत?
विदेशी सरकारें अपने रिसर्च फाउंडेशन पर हर साल अरबों डालर खर्च कर रही है… एक उदाहरण देखिये कि हजारों सालों से गो मूत्र की खूबियाँ और उसके औषधि के रूप में इस्तेमाल के बारे में वेदों में बताया गया है लेकिन गो मूत्र का औषधि के रूप में पेटेंट किसने कराया? अमेरिका ने…
आज पूरी दुनिया योग सीख रही है… ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका में संस्कृत के श्लोक पढाये जा रहे हैं… अरब देशों तक में भगवत गीता को मान्यता मिल गयी… रामचरित मानस का 627 भाषाओँ में अनुवाद हो गया… और पूरी दुनिया इसे आज पढ़ कर राम का चरित्र समझ रही है और उसे चित्त में उतार भी रही है…
लेकिन जहाँ इनका जन्म हुआ उसी देश में गीता, राम और गाय, गो मूत्र को लेकर झगड़ा है… यानी पिछले 20 सालों में भारत में कोई नया रिसर्च का काम नहीं हुआ…
हाँ, इसरो ने पिछले 10 सालों में दुनिया के सामने भारत का रुतबा जरुर मजबूत किया है… मिसाइल बनाने के क्षेत्र में भी हम आज अग्रणी देश बन गए हैं… लेकिन भारत में बाकी लोग और क्षेत्र क्या कर रहे हैं?
प्रियंका चोपड़ा हॉलीवुड में नग्न दृश्य देकर भारत का ऊंचा कर रही है… अगर आपने इस पर कुछ कहा तो आपको छोटी मानसिकता का इंसान घोषित कर दिया जाएगा…. भारत सरकार ने भी प्रियंका और परिणिति चोपड़ा जैसे लोगों को भारत में विमेन इम्पावरमेंट का ब्रांड एम्बेसडर बनाया है.
ऐसे ही लोगों की वजह से आये दिन देश में एक निर्भया काण्ड होता है… आपकी फिल्मो को अभी भी सिर्फ नाचने गाने वाली एंटरटेनमेंट फिल्म ही माना जाता है…
ना तो हम जानवरों के संरक्षण के ऊपर ही कोई कार्य कर पा रहे हैं और ना तो कोई नया अनुसंधान केंद्र पिछले 10 सालों में खोला गया है… परमाणु संपन्न होने के बावजूद आज भी हम इसका इस्तेमाल बिजली उत्पादन के लिए नहीं कर पाए है… इसके लिए दोषी कौन है?
70 साल हो गए आजादी मिले… लेकिन आज भी हमारे नेता-मंत्री लोग बीमार होने पर अमेरिका जाते हैं… एम्स जैसे हॉस्पिटल सिर्फ दिल्ली तक सीमित क्यों है?
अच्छे डॉक्टर्स सिर्फ प्राइवेट अस्पतालों में क्यों मिलते है… क्यों आज भी शिक्षा स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र महंगे है… यानी अगर कोई गरीब कैंसर से पीड़ित हो तो उसकी नियति में सिर्फ मरना ही क्यों लिखा है?
आपकी न्याय व्यवस्था इतनी लचर क्यों है… चार बलात्कारियों को दोषी करार देने में आपको 5 साल लग गए?
इस पिछड़ेपन का जिम्मेवार कौन है… आपके देश में एक सामान्य मलेरिया या बर्ड फ्लू आता है, हजारों की संख्या में लोग अगर मर जाते हैं तो यकीन मानिये आप कोई महाशक्ति नहीं हैं…
अगर आपके यहाँ कोई नये विषय पर रिसर्च नहीं हो रहा है… तो आप अभी भी तीसरी दुनिया है… आप कभी विकसित देश नहीं बन सकते..
अगर आजादी के 70 सालों के बाद भी आपकी मूलभूत जरुरत रोटी, कपड़ा और मकान के आगे नहीं बढ़ी है तो यकीन मानिये आप नाइजीरिया और सोमालिया जैसे देशों से भी बदतर हैं…
जिस देश में आज भी ड्राइविंग लाइसेंस या गाड़ी के पेपर दिखाने या मांगने पर पुलिस वाले को अपने बाप का नाम और पद बताया जाता है… जहाँ सड़क पर ट्रेफिक की लाल बत्ती पर नियम तोडना शान समझी जाती है…
जहाँ रोड के किनारे अतिक्रमण करके जमीन हड़पने को लोग अपना राष्ट्रीय अधिकार समझते हों… जहाँ गन्ने से लदी एक खड़ी ट्रक भी जनता द्वारा लूट ली जाती हो उस देश के नागरिकों को आत्ममंथन करना होगा… क्या वाकई में हम एक विकसित सभ्य विकासशील देश के नागरिक है?