जब से भाजपा दिल्ली और बाद में बिहार चुनाव हारी, तब से कुछ परमानंदी, परमसुखी टाईप कुकुरमुत्ते हर बड़े चुनाव के पहले एक ही राग अलापते थे… ‘दिल्ली में क्यों नही चला मोदी का जादू?, बिहार में मोदी को क्यों नकार दिया लोगों ने? देखना, यही हाल महाराष्ट्र में भी होगा, यही जवाब यूपी में भी मिलेगा.. कोई मोदी को वोट नही देगा’.
यानि कुल मिलाकर इनको सारी एनर्जी दिल्ली और बिहार से ही मिलती थी. इन्होंने केजरीवाल, नितीश कुमार या ममता बनर्जी को मोदी का विकल्प बताना शुरू कर दिया था, कुछ लोग अभी भी लगे हुए है यही करने में.
जिस दिल्ली और बिहार की जनता ने मोदी को नकार कर जो सरकार चुनी थी आज उन दोनों सरकारों की हालत देख लो. सरकार चल रही है या तमाशा हो रहा है, समझना मुश्किल है.
हिटलर की तानाशाही देखना हो तो दिल्ली को देख लो और नीरो की बंसी सुनना हो तो बिहार को देख लो. एक सरकार जुबान से चल रही है और दूसरी जेल से और तीसरी बंगाल की मस्जिद से.
देख लो यही हैं तुम्हारे विकल्प. सोच कर देखो कि इनमें से कोई अगर प्रधानमंत्री बन जाये तो क्या होगा?
केजरीवाल तो 4 उपप्रधानमंत्री बनाकर खाट तोड़ते रहते. जितने नक्सली बस्तर, झारखंड, गढ़ चिरौली में पुलिस और सीआरपीएफ से भागते फिर रहे हैं, वो साउथ ब्लॉक में ऑफिस खोल कर बैठे होते.
नितीश कुमार बन जायेंगे लालू वाले गठबंधन के दम पर तो पाकिस्तान और ISI को, आतंकवादियों और जासूसों पर पैसा खर्च करने की ज़रूरत ही नही पड़ेगी. सीधे लालू को फोन करके सेनाध्यक्ष तक हटवाये जायेंगे. यही हाल ममता बनर्जी का भी होगा.
जिन्हें आजकल हर बात में मोदी को गालियाँ देने का शौक चर्राया हुआ है वो अपने इन ‘सस्ते, सुंदर और बिकाऊ’ विकल्पों की फोटो टांगे और ऐश करें.