ये एक सैनिक युद्ध से अधिक मनोवैज्ञानिक युद्ध है

जब किसी कॉलेज में या मोहल्ले में कोई नया छात्र या परिवार आता है तो वहां के पुराने गुंडे और मवाली उस नये छात्र/परिवार पर पहले तो कड़ी नजर रखते हैं. उसकी हर तरह की गतिविधि पर नज़रें गड़ाये रहते हैं… उसके परिवार में कौन कौन है… उस छात्र या परिवार में प्रतिरोधक क्षमता कितनी है… है भी या नहीं?

फिर पूरी तरह नाप तौल करने के बाद वे गुंडे मवाली उस छात्र/परिवार पर धीरे धीरे रौब जमाने का प्रयास करते हैं. उस पर फिकरे कसते हैं. उसके साथ बदसलूकी करते हैं. देखते हैं कि वह विरोध करता है या नही… विरोध करने की क्षमता कितनी है…

यदि लगता है कि नया छात्र या परिवार विरोध नहीं कर रहा है… तो उससे उनकी हिम्मत बढ़ती ही जाती है… पर यदि नया छात्र/परिवार कुछ प्रतिरोध करता है तो उसके साथ साथ गुंडे मवाली भी अपनी हरकते बढ़ाते चले जाते है… उसके साथ मारपीट या हमला कर यह देखा जाता है कि सामने वाले मे प्रतिरोध करने की क्षमता कहां तक है… वह अपनी सुरक्षा मे कहां तक जा सकता है…???

अंत मे संघर्ष होता है… और नया छात्र या परिवार पुराने गुंडे मवालियो की तबीयत से धुलाई कर देता है तो सारे गुंडे लफंगे दुम दबाकर भाग जाते है… फिर किसी की कोई हिम्मत नहीं होती उस छात्र या परिवार को परेशान करने की… ऐसी सैकड़ो फिल्मे बनी है भारत में … जिनके नाम सबको मुंह जुबानी याद होंगे!

तो पाकिस्तान तीन साल से भारत की मोदी सरकार के साथ यही कर रहा है…वह तौल रहा है कि नयी सरकार का सेनापति अपने देश की सुरक्षा के लिये किस स्तर तक जा सकता है… वह मोदी सरकार की कड़ी परीक्षा ले रहा है… ये बार बार हो रहे हमले एक बेहद सोची समझी रणनीति के तहत किये जा रहे है… ये एक सैनिक युद्ध से अधिक एक मनोवैज्ञानिक युद्ध है… जो पाकिस्तान भारत के साथ खेल रहा है…!!!

यही मनोवैज्ञानिक लड़ाई फिलीस्तीनियों ने यहूदी इजराईल के साथ लड़ी… जिसमें हर बार इजराईल ने फिलीस्तीनियों को आम भारतीय फिल्मों के गुंडो की तरह तबीयत से धोया… परिणाम isis ने आज तक किसी यहूदी या इजराईली सैनिक की हत्या नहीं की… जबकि इसी isis ने इराकी यजीदियो, शियाओ के साथ हर तरह का अमानवीय अत्याचार किया… बच्चों की हत्या की… महिलाओं की मंडी सजाई… नीलाम बोली लगी… आदमियों के गर्दन काटने के वीडियो पूरी दुनिया को दिखाये…!!!

तो रास्ता साफ है… आपके सामने दो राहे हैं… या तो यहूदी बन जाओ
नहीं तो
यजीदी बनने के कगार पर तो पहुंच ही गये हैं!

शहीदो को नमन

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