जब से कश्मीर घाटी मे भारतीय सैनिको को थप्पड़, लात और उनके सामने ही ‘गो इंडिया गो बैक’ के नारे लगाते कश्मीरी अलगाववादी युवको का वीडियो सामने आया है… सारा देश अपने को अपमानित और क्रोध से भरा हुआ महसूस कर रहा है.
भारतीय सेना भले ही विश्व की सबसे बड़ी और शक्तिशाली सेना हो… सारे आधुनिक हथियार, परमाणु बम और अग्नि जैसी हजारो किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाईले हो… संख्या और हथियार के नाम पर हमारी सेना रूस, चीन, अमेरिका से कम न हो… पर एक सैनिक के रूप में हमारे सैनिको को सबसे कम अधिकार प्राप्त है.
केन्द्र/राज्य सरकार और माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी हमारे सैनिकों के हाथ हर तरह से बांध रखे हैं. हाल ही मे सुप्रीम कोर्ट ने पैलेट गन पर रोक लगाने का आदेश दिया…कहा कि पैलेट गन का उपयोग अमानवीय है (पत्थरबाज भले ही कितने ही अमानवीय हो जाये)… पैलेट गन की जगह बदबूदार पानी का उपयोग हो… ऐसी हमारे सुप्रीम कोर्ट की मंशा है… क्योकि पैलेट गन के उपयोग से पत्थरबाजों के मानवाधिकारो का उल्लंघन होता है… (मानवाधिकार केवल पत्थरबाजों के हैं सैनिक तो मानव होते ही नहीं)
यदि उस समय वह सैनिक गोली चलाकर उस थप्पड़ मारने वाले अलगाववादी को ढेर कर देता तो क्या होता…???
वह तुरंत गिरफ्तार होता… नौकरी से हाथ धो बैठता… मुकदमा चलता… सारी सरकारी सहायता रोक दी जाती… देश का सारा सेकुलर/लिबरल मीडिया उसके पीछे हाथ धोकर पड़ जाता… सैन्य नियमावली के उल्लंघन का केस खुद सेना उस पर ठोक देती…
कश्मीर घाटी में अपने परिवार से हजारों किलोमीटर दूर तैनात एक सैनिक पर इतनी कानूनी बाध्यताएं लाद दी जाती है कि उसे पता ही नहीं चल पाता कि वह देश कि रक्षा करे या अपनी नौकरी को बचाये… एक सैनिक को कश्मीर घाटी मे तैनात होने से पहले इन नियमो को मुखाग्र याद करना पड़ता है…
सैनिक आत्मरक्षा के लिये ही कदम उठायेगा… आंतकी समर्थक और पत्थरबाजों पर बिना पूर्व चेतावनी दिये कोई कार्यवाई नहीं करेगा… पहले लाठीचार्ज फिर आंसूगैस का उपयोग करेगा… इसके बाद पैलेट गन (अब बदबूदार पानी कोर्ट के आदेशानुसार) का उपयोग करेगा… फिर हवाई फायर… अंत मे गोली चलाना है वह भी घुटने के नीचे… कमर के उपर नहीं.
(जबकि महाभारत का युद्ध जीतने के लिये भगवान श्रीकृष्ण ने भी भीम को दुर्योधन की कमर के नीचे गदाप्रहार की अनुमति दे दी थी) पर हमारे नीति नियंता/सरकार कमर के उपर गोली चलाने का अधिकार नहीं देते!
सोचिये जरा… भारत सरकार कानून और संविधान किसके साथ खड़ा है…
आतंकवादियों/पत्थरबाजों के साथ या हमारे सैनिकों के साथ?