विदेशी चंदे का हिसाब दो, केजरीवाल पार्टी को गृह मंत्रालय का नोटिस

नई दिल्‍ली. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ और हालिया एमसीडी चुनाव में शर्मनाक पराजय झेल चुकी आम आदमी पार्टी (आप) से विदेशों से मिल रहे चंदे का ब्यौरा देने को कहा है.

पार्टी से 15 दिन के भीतर जानकारी मांगी गई है. पार्टी से चंदे का आंकड़ा और चंदा देने वाली कंपनी का नाम साझा करने को कहा गया है.

इसके साथ ही कंपनी के शेयर होल्डर्स और इसके फॉरन इक्विटी के बारे में जानकारी मांगी गई है. 3 मई की तारीख का यह नोटिस आप को शुक्रवार को मिला है.

मंत्रालय की ओर से विदेशी सहायता नियमन कानून 2010 (एफसीआरए) के तहत आप को जारी नोटिस में पार्टी को विभिन्न देशों से मिले चंदे की जानकारी मांगी गई है.

नोटिस में मंत्रालय द्वारा पार्टी को इस बाबत विस्तृत जानकारी देने के लिए 16 मई तक का समय दिया गया है. नोटिस में विदेशी दानदाताओं और अंशधारकों की सूची तथा उनके द्वारा दी गई राशि का ब्यौरा मांगा गया है.

आम आदमी पार्टी के एक नेता ने नोटिस मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि हाल ही में पंजाब सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान आप को मिले चंदे का पूरा ब्यौरा चुनाव आयोग के समक्ष पेश किया गया था.

पार्टी की दलील है कि सामान्य तौर पर एफसीआरए के तहत दानदाताओं के नाम और पैन नंबर की जानकारी मांगी जाती है. इसके अलावा पार्टी ने राजनीतिक दलों को दान देने वालों की सूची देना भी व्यवहारिक नहीं होने का हवाला देते हुए इसे केंद्र सरकार का आप के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया बताया है.

आप प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि फरवरी 2015 में गृह मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया था कि आप की फंडिंग में कोई गड़बड़ी नहीं है. तब गृह मंत्रालय के वकील ने कोर्ट में कहा था कि एफसीआरए के उल्लंघन के आरोपों पर आप के खिलाफ कुछ नहीं मिला है. साथ ही यह कहा था कि आप ने विदेश फंडिंग के मामले में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है.

चड्ढा ने कहा कि गृह मंत्रालय ने यह भी कोर्ट को बताया था कि आप ने सिर्फ भारतीय नागरिक से ही चंदा लिया है. उस वक्त कोर्ट में आप को क्लीन चिट देने वाला गृह मंत्रालय अब कह रहा है कि हम फिर से जांच करना चाहते हैं. यह भारतीय लोकतंत्र के लिए बेहद दुखद है कि केंद्र सरकार ने आप को टारगेट करने के लिए अपनी सभी शाखाओं का इस्तेमाल कर लिया है.

चड्ढा ने कहा कि एक दिन पहले दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्रालय के ऑफिस में सीबीआई रेड डालती है और दूसरे दिन गृह मंत्रालय का नोटिस आ जाता है. साफ है कि यह राजनैतिक विद्वेष की भावना से किया जा रहा है.

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