राष्ट्रवादी मित्रों, आपके राजनैतिक विरोधी अब यह मानने लगे हैं कि लगातार प्रधानमंत्री जी के नाम की आलोचना कर के उनसे गलती हुई है, वे नुकसान में रहे हैं…
और अब विपक्ष ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए… सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों पर बात करने की तैयारी की है.
इसके नतीजे आपको जल्दी ही.. स्थापित मीडिया से लगायत सोशल मीडिया, सदनों, कार्यक्रमों, विभिन्न फोरमों, राजनीतिक पार्टियों के आयोजनों, दार्शनिक-वैचारिक-राजनैतिक गिरोहों आदि के मंचों से दिखेंगे.
मैं विपक्ष की इस नीति का स्वागत करूंगा, लेकिन साथ ही आपकी जानकारी में लाना जरूरी समझूंगा कि ऐसा करते हुए ईमानदारी नहीं बरती जाएगी.
गलत तथ्य रखे जाएंगे. झूठे आंकड़े प्रचारित किये जायेंगे. अफवाहें फैलाई जाएंगी. कुतर्क गढ़े जाएंगे…. आपके परधान मोदी जी का नाम लिए बिना.
आपकी क्या तैयारी है मेरे सम्मानित राष्ट्रवादियों? ‘भाव’ पर ‘भाव’ खाने से क्या सब हो जाने वाला है!
क्या आप भी खुद को शासन की नीतियों, कार्यक्रमों पर तथ्यों, आंकड़ों… के साथ तैयार रखने के बारे में सोचेंगे ?
मुझे इस रणनीति के मुताबिक सामाजिक-राजनैतिक चर्चाओं में ‘भाग लेना’ पसंद है.
आप का ‘भाग लेना’ किसमें है?
*भाग लेना *भाव : वह शब्द पुनि-पुनि पड़े, भेद और ही और : सो यमक अलंकार है.. अर्थ रखे दो ओर. जैसे… तीन बेर खाती सो वे तीन बेर खाती है, नगन जड़ाती सो वे नगन जड़ाती है.