भले ही प्यार से हो या तकरार से, बस काम होना चाहिये

प्यार से कैसे हलाल करते है ये मैंने अपने M.D. से सीखा है… जहाँ मेरा बहुत पहले जॉब था.

कभी कोई मशीन खराब होने पर मेंटेनेन्स के लिये जब कोई बन्दा आता तो उसको शाम के 5 बजते ही  भागने की जल्दी रहती थी… बाकी काम कल देखेंगे.

उसकी ड्यूटी तो 5 बजे ख़त्म हो जाती लेकिन मशीने तो 24 घंटे चलती है, ऑर्डर पूरे करने हैं इसलिये प्रोडक्शन वालो को ज्यादा टेंशन.

मैं जाकर सर से बोलता कि वो मेंटेनेन्स वाला बन्दा तो भागने की जल्दी में है… ऐसे तो ये तीन दिन लगा देगा… ठीक करने में.

फिर MD उसको अपने कैबिन में बुलाते, चाय पिलाते और कुक को बुलाकर कहते… ‘इंजीनियर साहब को जो खाना हो बना देना, इनको चाय पिलाते रहना… आज ये मशीन ठीक करके ही घर जायेंगे भले ही रात के 12 बज जाये’.

फिर उससे कहते… ‘एक गाड़ी और ड्रायवर छोड़ कर जा रहा हूँ. जब भी काम पूरा हो जाये आप और आशीष साथ निकल जाना. आशीषजी, इंजीनियर साहब का ध्यान रखना.. इनको कोई परेशानी ना हो. बेटा, आशीष जी भी आपके साथ ही रुकेंगे… काम होते ही मुझे फोन कर देना’.

वो बन्दा स्माइल देते हुए प्लांट में चला जाता. उसके जाते ही सर बोलते… ‘आशीषजी इस ‘#$@&$’ को जाने मत देना जब तक काम पूरा ना हो जाये और अगर आज नहीं हो पाता तो सुबह 8 बजे इसके घर पहुँच जाना गाड़ी लेकर’.

उधर प्लांट में जाने पर वो बन्दा, सर की तारीफों के पुल बाँधने लग जाता… ‘यार क्या नेचर है आपके MD का, दूसरी कम्पनियों में तो कोई बात भी नही करता’.

अगर मोदीजी कह रहे हैं कि ‘भारत के मुस्लिम दुनिया के मुस्लिमों को रास्ता दिखायेंगे, तीन तलाक की समस्या का हल खुद ही करेंगे’… तो दुखी क्यों हो रहे हो.

आग लगाकर थोड़ा सा पानी डालने में बुराई क्या है? काम होना चाहिये… भले ही प्यार से हो या तकरार से. सबका साथ, सबका विकास.. का नारा तो है ही.

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