नेपाल माओवाद का गढ़, चीन जनक, भारत पीड़ित और ईसाई मिशनरियों की पैठ!

चलिए कुछ चिंताजनक बातें करते है… और चलते है अपने पड़ोसी देशों की ओर… अब पड़ोसी का मतलब खाली पाकिस्तान ही नहीं होता, और भी हैं…

तो इन और भी में से नेपाल और चीन चलते है… नेपाल… नेपाल कहते या सुनते ही कुछ चीजें बहुत आमने-सामने से गुजरने लगती है… मसलन एकमात्र हिन्दू राष्ट्र… कभी गुलाम न रहा… वगैरह-वगैरह…

वहीँ चीन की बात करे तो सामान्य खबरें पढ़ते ही रहते होंगे… अगर रिलीजन वाइज़ बात करें तो चीन में बुद्धिस्ट और नॉन-रिलीजियस लोग ज़्यादा हैं… तो ये बातें बहुत नॉर्मल है… सभी जानते है… लेकिन अब जरा एबनॉर्मल बातें करता हूँ…

ईसाई मिशनरियां विश्व के लगभग सभी देशों में सक्रिय हैं… बाबा यहोवा की शरण में लाने का काम बड़े तरीके से चल रहा है… अनवरत चल रहा है…

भारत में तो उछल-कूद देख ही रहे होंगे… सभी देशों में इनका काम चल रहा है… जहाँ जैसे हो सके यहोवा की शरण में लाने का काम बड़े जोरों से चल रहा है…

अब ज़रा हैरतअंगेज़ आँकड़ा पकड़िये… कंवर्ज़न हो रहा है तो उसका अपना कंवर्ज़न रेट भी होगा.. और जहाँ-जहाँ हो रहा है उस पर्टिकुलर देश का भी कुछ कंवर्ज़न रेट होगा.. तो मालूम है कि विश्व में सबसे तेज गति से ‘क्रिश्चियनिटी’ में कनवर्ट होने का रेट किस देश का है?

तो जवाब है ‘नेपाल’!… जी हाँ नेपाल… विश्व का एकमात्र हिन्दू राष्ट्र… कभी गुलाम न रहने वाला… और क्रिश्चियनिटी कंवर्ज़न रेट में विश्व में सबसे अव्वल!!…

और दूसरे नम्बर पे कौन है मालूम है…?? तो दूसरे नम्बर पे है ‘चीन’!!… नॉन-रिलीजियस और बौद्धिस्ट कंट्री… कंवर्ज़न रेट में विश्व में दूसरे नम्बर पे.

जहाँ नेपाल में कंवर्ज़न का AAGR (Average Annual Growth Rate) 10.93% है… वहीँ चीन का 10.86% है… और जिस गति से कंवर्ज़न रेट चल रहा है उस हिसाब से जो क्रिश्चन आबादी अभी है उसके दुगुना होने में 6.6 वर्ष लगेंगे…

जहाँ अब तक इनकी आबादी कुल आबादी के जीरो पॉइंट समथिंग परसेंटेज में होती थी, वहीँ वो 2020 तक होते-होते नेपाल का 3% और चीन का 10% पर्सेंट हो जाएंगे कुल आबादी के.

अब कुछ देर के लिए भारत में ही रुकते हैं…

मिशनरीज़ का खेल तो देख ही रहे होंगे… सोनिया राज तक में कैसा बेधड़क खेल चल रहा था इन सब का… कैसी छूट मिली हुई थी..

मोदी सरकार के आते ही पहले खेप में 12,000 NGO’s और दूसरे खेप में 20,000 NGO’s बन्द होने के कारण इनकी कमर टूट सी गई… जरूरी पैसों का प्रवाह रुक सा गया… अबाध खेल में ब्रेक सा लग गया… इनकी छटपटाहट भी खूब देख रहे होंगे.

अब NGO’s से पैसे आने रुके तो सीधे सरकारी तंत्र में घुसपैठ होनी शुरू हो गई… तेलंगाना सरकार को लीजिये… इनके माइनोरिटीज़ वेलफेयर डिपार्टमेंट की तरफ से एक स्कीम निकली है… जिसमें आप 10 लाख तक का लोन ले सकते है जिसमें कि आपको 80% तक की सब्सिडी मिल सकती है.

और मालूम है इस स्कीम के लाभ लेने की अर्हता क्या है?… तो अर्हता ये है कि ‘सबसे पहले आपको क्रिश्चन होना माँगता!’…

अगर क्रिश्चियन नहीं है तो आप इस स्कीम का लाभ नहीं उठा सकते… इसमें भी बड़ी राहत की बात ये है कि यदि आप हिन्दू से क्रिश्चियन बनते है तो आपको अच्छी सुविधा मिलेगी.

बताइये भला… कैसा धर्मनिरपेक्ष देश है भारत!!

अब जरा नेपाल, चीन और भारत को मिलाइये… नेपाल माओवाद का गढ़… चीन माओवाद का जनक… और भारत माओवाद का पीड़ित… और भारत में माओवाद ग्रसित इलाकों में ईसाई मिशनरियों की पैठ!! कुछ समझ में आ रहा है!!

पाकिस्तान, बांग्ला देश, चीन का तो खैर जगजाहिर ही है भारत के प्रति रवैया… अब इस क्रम में जुड़ गया नेपाल!!

MMM फैक्टर… बोले तो मीडिया, मुस्लिम और मिशनरी!! अब आंतरिक रूप से भी और बाह्य रूप से भी…!! सोचिये… सोचिये… विचारिये ज़रा.

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