हम शर्मिंदा हैं साथियों

अभी कुछ दिनों पहले पहले अचानक से एक वीडियो देखा फेसबुक पर बहुत ट्रेंड कर रहा था. वीडियो में कश्मीर के कूल dude टाईप लड़के वहाँ से गुज़र रही सैन्य टुकड़ी का जम कर मज़ाक उड़ा रहे हैं कुछ एक तो लप्पड़ और और लात भी मार रहे हैं.

इतने पर भी फौजी भाई मुस्कुरा रहा है. खैर कौन सी बड़ी बात है भाई कुछ एक गालियाँ दे दीं एक आध थप्पड़ मार दिया तो इसमें इतना हंगामा करने की कौन सी बात है. वैसे देश में लड़कों से गलती हो जाना आम बात है और ऊपर से फौजी भाई कौन सा मुफ्त में ये सब कर रहे हैं इसके बदले मोटी तनख्वाह भी तो लेते हैं. इतनी मोटी तनख्वाह कि हर महीने घर से तंग हाली से भरा ख़त आ जाता है.

कहते हैं घर परिवार से दूर रहते हैं ये फौजी अपने बच्चों को अपने परिवार को देखने के लिए तरस जाते हैं. भई तरस जाते हैं तो इसमें हम क्या करें कौन सा मुफ़्त में तरसते हैं मोटी तनख्वाह भी तो मिलती है. इतनी मोटी कि जिन बच्चों को मिलने के लिए तरसते हैं घर का सारा खर्च उठाने के बाद उस तनख्वाह में इतने पैसे नहीं बचते कि अपने उन बच्चों को उनके पसंद के किसी बड़े स्कूल भेज सकें.

कहते हैं जान का खतरा बना रहता है. सरहद पर रोज़ कोई ना कोई मारा जाता है या तो गोली लगती है या सर काट लिया जाता है. अरे तो कौन सा अहसान कर देते हैं हर वक्त जान हथेली पर रख कर बदले में मोटी तनख्वाह चिकन मीट और रम की बोतल भी तो मिलती है.

कोई ज़रूरत नहीं इन पर तरस खाने की बहुत अमीर हैं ये फौजी. सरकार का आधा खजाना तो इन्ही की तनख्वाह में जाता है. अगर इतना मिलने पर कुछ नालायक बच्चों ने बुरा सलूक कर ही दिया तो क्या हो गया. क्या इन फौजी भाईयों को नहीं पता हम ऐसे देश में रह रहे हैं जहाँ आपको सहिष्णुता दिखानी पड़ती है भले ही सामने वाला कितना ही असहिष्णु हो.

आपने उन पत्थर या थप्पड़ मारने वालों को अगर पलट कर घूर भी दिया तो लाखों लोगों को इस देश में रहने से डर लगने लगेगा. हाँ मगर एक बात कहूँगा ये बात बात पर डरने वाले और एकतरफा प्रेम का गीत गाने वाले इतनी मोटी तनख्वाह में इतना कुछ नहीं सह पाएंगे ये आप ही सह सकते हैं.

आप कितना भी कह लो कितनी बार जान कुर्बान कर के साबित कर दो कि आप पैसों के लालच में नहीं बल्कि अपने देश की सेवा के लिए सेना में भर्ती हुए हैं कोई मानने को तैयार नहीं होगा. यहाँ बस आतंकियों के मरने पर धरने दिए जाएंगे, संसद में नेता लोग लत्तम जुत्तम करेंगे मगर आपके लिए किसी के मुंह से बोल नहीं फूटेगा. आपको बम से भी उड़ा दिया जाए तो भी आप एक लफ्ज़ नहीं बोल सकते, बोलेंगे भी क्यों आपको मोटी तनख्वाह जो मिलती है.

हमारा देश अंधा और बहरा है मगर सिर्फ एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ इन्हें वो भी दिखता और सुनता है जो जायज़ नहीं है. मगर मैं और मेरे जैसे चंद दोस्त आपको नमन करते हैं और अपने दोगले किस्म के दोस्तों के लिए शर्मिंदा हो कर माफ़ी मांगते हैं और अगर हमारी मानें तो उस थाली और थाली में छेद करने वालों को आप कभी भी जम के सबक सिखाने के लिए स्वतंत्र हैं.

हमें अपने देश का वो हिस्सा बंजर ही देखना पसंद होगा जहाँ कितनी भी प्रेम की खाद डालो मगर वो उपजाएगा ज़हर की फसल ही. खैर करें ये कि अभी तक पड़ोसियों के हाथ में नहीं वरना पता लग ही जाता कि हाथ उठाने के बदले बम से उड़ा देना कितनी छोटी बात है.

आपकी तनख्वाह से आपका घर भले ना चले मगर आपकी हिम्मत और सहनशक्ति की बदौलत हमारा देश ज़रूर चल रहा है. कुत्तों के झुंड को नज़र अंदाज़ कर के चलिए एक दिन खुद ये किसी गोली का शिकार हो जाएंगे. आपके जज़्बे को हमारा सलाम है आप सबसे ही हमारे देश की शान है.

जय हिंद

– धीरज झा

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