शौचालय की संख्या बढ़नी चाहिए ट्रेनों में भी

एक तरफ भारत सरकार ‘घर-घर शौचालय’ होने के अभियान में जुटी हैं, दूसरी तरफ भारतीय रेल (ट्रेन) पर शौचालयों की संख्या सबसे कम है.

सामान्यतः एसी और स्लीपर क्लास के आरक्षित बोगी में यात्रियों की संख्या सीट के हिसाब से 72 होती है, ऐसा जनरल बोगी में भी होती है.

ऐसे प्रत्येक बोगी में दोनों तरफ दो-दो मिल चार शौचालय होते हैं. एसी और स्लीपर क्लास की बोगी में 18 यात्री पर एक शौचालय है, जो एक घर या परिवार के लिहाज से भी अत्यल्प है, वहीं आजकल के भीड़ को देखते हुए जनरल बोगी में यात्रियों की संख्या सीट की संख्या से 5 गुनी से अधिक होती है, यानी 400 यात्रियों की भीड़ तो एक जनरल बोगी में अवश्य रहती है.

अब बताइये, प्रति 100 ट्रेन-यात्रियों पर मात्र एक शौचालय का पड़ना, कहीं से भी न तो मानविकी लिए है, न ही यह भारत सरकार के अभियान के सफलता का परिचायक ही है.

ऐसे में ट्रेन के शौचालय का गंदा होना लाजिमी है तथा इन शौचालयों में भारतीय ढंग के कमोड नहीं होने से, तेज रफ़्तार के कड़े नल और उनमें दो-चार स्टेशन बाद ही जल ख़त्म हो जाने से, फिर एतदर्थ पानी के डिब्बे और साबुन-जैसे कुछ भी नहीं रहने से इनकी गन्दगी और बढ़ जाती है.

आशा है टिकट लेकर यात्रा करने वालों के लिए रेल मंत्रालय ट्रेन पर शौचालय की संख्या बढ़ाने पर अवश्य विचार करेंगे.

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सदानंद पॉल (SADANAND PAUL) शिक्षाविद् , साहित्यकार, पत्रकार, गणितज्ञ, नृविज्ञानी, भूकंपविशेषज्ञ, RTI मैसेंजर, ऐतिहासिक वस्तुओं के संग्रहकर्ता हैं. स्वतंत्रतासेनानी, पिछड़ा वर्ग, मूर्तिकार, माटी कलाकार परिवार में 5 मार्च 1975 को कटिहार, बिहार में जन्म हुआ. पटना विश्वविद्यालय में विधि अध्ययन, इग्नू दिल्ली से शिक्षास्नातक और स्नातकोत्तर, जैमिनी अकादेमी पानीपत से पत्रकारिता आचार्य , यूजीसी नेट हिंदी में ऑल इंडिया रैंकधारक, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से रिसर्च फेलो. 11 वर्ष में महर्षि मेंहीं रचित सत्संग योग की समीक्षा पर नेपाल के प्रधानमन्त्री कुलाधिपति श्री एनपी रिजाल से आनरेरी डॉक्टरेट कार्ड प्राप्त, पटना विश्वविद्यालय पीइटीसी में हिंदी अध्यापन 2005-07 और 2007 से अन्यत्र व्याख्याता, 125 मूल्यवान प्रमाणपत्रधारक, तीन महादेशों की परीक्षा समेत IAS से क्लर्क तक 450 से अधिक सरकारी,अकादमिक,अन्य परीक्षाओं में सफलता प्राप्त. 23 वर्ष की आयु में BBC लंदन हेतु अल्पावधि कार्य , दैनिक आज में 14 वर्ष की अल्पायु में संवाददाता, 16 वर्ष में गिनीज बुक रिकार्ड्स समीक्षित पत्रिका भूचाल और 18 वर्ष में साप्ताहिक आमख्याल हेतु लिम्का बुक रिकार्ड्स अनुसार भारत के दूसरे सबसे युवा संपादक, विज्ञान-प्रगति हेतु प्रूफएडिटिंग, बिहार सरकार की ज़िलास्मारिका कटिहार विहंगम-2014 के शब्दसंयोजक, अर्यसन्देश 2015-16 के ग्रुपएडिटर.

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