स्पोर्ट्स में एक शब्द है Doping… इसमें खिलाड़ी / पहलवान Anabolic Sterioids खा के मोटा जाता है.
ये कुछ ऐसा ही है जैसे कोई बैंक लूट के अमीर हो जाये… पर ऐसी अमीरी दो चार महीने ही चलती है.
कुछ दिन में पैसे खत्म हो जाते हैं… दुबारा बैंक लूटना पड़ता है… न लूटो तो आदमी फिर गरीब हो जाता है.
इसी तरह पहलवानी में Dope बराबर लेते रहना होता है…. न ले तो Dopey पहलवान चुसे हुए आम जैसा हो जाता है.
मैं हमेशा से ये लिखता आया हूँ कि 2015 में दिल्ली में AAP की चुनावी सफलता Dope का नतीजा थी. अब क्या है कि Dope हमेशा तो चलता नही. और बार-बार मिलता नही.
कांग्रेस का दिल्ली में 22 से 24% वोट है. 2014 लोकसभा की प्रचंड विजय के बाद जब मोदी का विजय अभियान कश्मीर और हरियाणा, महाराष्ट्र में भी नहीं थमा…
जब भाजपा ने महाराष्ट्र और हरियाणा में भी अपने अकेले दम पे विजय हासिल की तो कांग्रेस ने मोदी के इस अश्वमेध के घोड़े को रोकने के लिए, अपनी खुद की कुर्बानी दी…
दिल्ली के चुनाव में कांग्रेस ने अपना वोट AAP को ट्रांसफर किया, 22% वोट से 8-9% पे आ गयी और AAP को 53% पे ले गयी… कांग्रेस की एक सीट न आयी और AAP 70 में 67 ले गयी.
कांग्रेस ने एक बार तो ये dope / क़ुरबानी AAP के लिए दे दी… हर बार थोड़े न देगी? याद कीजिये, पिछले साल इसी नगर निगम की 13 सीटों पे उपचुनाव हुआ था. कांग्रेस को वही 22% वोट मिला, जो उसका है.
आज जो MCD चुनाव के नतीजे आए… उसमें भी वही कहानी दोहराई गयी है. कांग्रेस पूरी ताकत से चुनाव लड़ी. उसे 21% वोट मिला.
AAP अपनी औकात पे वापस आ गयी. उसे सिर्फ 25% वोट मिला.
भाजपा का दिल्ली में 32 से 34% बेस वोट है. 2014 में मोदी लहर में जब कि दिल्ली ने मोदी जी को PM बनाने के लिए वोट दिया, भाजपा को मोदी लहर में 46% वोट मिला.
आज 2017 में उसी दिल्ली ने भाजपा को 38% वोट दिया… नगर निगम और स्थानीय निकायों के चुनाव स्थानीय मुद्दों पे लड़े जाते हैं.
इन चुनावों में स्थानीय उम्मीदवार होते हैं. बहुत से निर्दलीय मैदान में उतरते हैं और जीतते हैं… पर इसके विपरीत दिल्ली में नगर निगम में भी मोदी का ही जादू चला.
AAP का बुलबुला फूट चुका है… सृष्टि के एकमात्र ईमानदार आदमी और एकमात्र ईमानदार पार्टी की पोल खुल चुकी है.
रामलीला मैदान में जो आस जगी वो टूट चुकी है… केजरीवाल का रेत का किला भरभरा के गिरा है. केजरीवाल और AAP की Obituary (मौत की खबर) लिखी जा चुकी है.