दिल्ली गर यूँ ही मौन रही, हम बागी भी हो सकते हैं

मत छुट्टी दो, मत भत्ता दो, बस काम यही अब करने दो,
वेतन आधा कर दो, लेकिन कुत्तों में गोली भरने दो।।

या तो कश्मीर उन्हें दे दो, या आर-पार का काम करो,
सेना को दो ज़िम्मेदारी, तुम दिल्ली में आराम करो।।

हर हर मोदी घर घर मोदी, यह नारा सिर के पार गया,
इक दो कौड़ी का जेहादी, सैनिक को थप्पड़ मार गया।।

थप्पड़ खाएं गद्दारों के, हम इतने भी मजबूर नहीं,
हम भारत माँ के सैनिक हैं, कोई बंधुआ मजदूर नहीं।।

अब और नहीं लाचार करो, हम जीते जी मर जायेंगे,
दर्पण में देख न पाएंगे, निज वर्दी पर शर्मायेंगे।।

राजनीति ने इस घाटी को, सरदर्द बनाकर छोड़ा है,
भारत के वीर जवानों को नामर्द बना कर छोड़ा है।।

भारत का आँचल स्वच्छ रहे, हम दागी भी हो सकते है,
दिल्ली गर यूँ ही मौन रही, हम बागी भी हो सकते हैं।।

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