पेरिस. फ्रांस में भारी सुरक्षा राष्ट्रपति चुनाव के पहले दौर के लिए रविवार को वोट डाले गए. इस चुनाव के नतीजों को यूरोपीय संघ के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ली पेन और मध्यमार्गी एमैनुअल मैक्रोन को सात मई के चुनाव के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है.
फ्रांस के इस चुनाव में भारत के केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में भी वोट डाले गए. यहाँ करीब 4,600 ऐसे लोग रहते हैं, जिन्हें फ्रांस की नागरिकता प्राप्त है. इस वजह से मतदान में इन लोगों ने भी भाग लिया.
पुडुचेरी वर्ष 1670 से 1954 तक एक प्रमुख फ्रांसीसी उपनिवेश था. पुडुचेरी में 1954 तक फ्रांसीसी प्रशासन के अधीन काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को फ्रांस की नागरिकता मिल चुकी थी. उसके बाद उनके बच्चों को भी फ्रांसीसी नागरिकता मिली.
पुडुचेरी के स्वतंत्र होने के बाद बहुत से लोग फ्रांस चले गए थे, लेकिन कइयों ने यहीं बसने का फैसला किया. उनके पास फ्रांसीसी नागरिकता तो पहले से ही थी. बाद में इन्हें भारत की भी नागरिकता मिल गई.
आतंकी आशंकाओं के मद्देनज़र फ़्रांस में भारी सुरक्षा इंतजामात के बीच हुए इस चुनाव में नेशनल फ्रंट की 48 वर्षीय नेता ली पेन को सुरक्षा खतरों के मुद्दे का लाभ मिलने की आशा है.
पेरिस के चैंप्स एलिसीस एवेन्यू में एक पुलिसकर्मी पर घातक हमले के बाद उन्होंने अपने प्रचार अभियान में सुरक्षा को अहम रूप से उठाया था. इस हमले की आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने जिम्मेदारी ली थी.
ली पेन की महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए विश्लेषकों का पूर्वानुमान है कि ली पेन की जीत यूरोपीय संघ के लिए घातक हो सकती है जो ब्रिटेन के बाहर होने से पहले ही कमजोर पड़ चुका है.
मैक्रोन (39) फ्रांस की सबसे युवा राष्ट्रपति बनने की उम्मीद कर रहे हैं और उन्होंने मजबूती से ईयू समर्थित और कारोबार समर्थित मंचों के लिए प्रचार किया है.
फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव पर दुनिया भर की नजरें टिकी हैं, क्योंकि इसका परिणाम यूरोप के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है. 11 उम्मीदवार मैदान में चुनाव में 11 उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें चार की प्रबल दावेदारी मानी जा रही है.
ये हैं कंजरवेटिव फ्रांस्वा फिल्लन, दक्षिणपंथी मेरिन ले पेन, उदार मध्यमार्गी एम्मानुएल मैक्रोन और वामपंथी जीन-लुक मेलेंनकोन. सभी उम्मीदवारों ने आव्रजन, अर्थव्यवस्था और फ्रांसीसी पहचान को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया है.