भारतीय राजनीति से कानूनी आधार पर तड़ीपार, सजायाफ्ता मुजरिम… लालू प्रसाद यादव के साथ मंच साझा न करने के निर्णय पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह को साधुवाद.
महात्मा गांधी के नाम पर लालू के साथ मंच साझा करने वाले राहुल गांधी जवाब दें, उनका लालू पर क्या स्टैंड है?
मनमोहन सिंह के उस बिल को फाड़ने पर राहुल जवाब दें, जिस बिल के बाद लालू भारतीय राजनीति के पहले तड़ीपार आर्थिक भ्रष्टाचारी राजनेता बने. मनमोहन सिंह सही, या लालू?
बिहारी सम्मान और बिहारी अस्मिता को चुनाव में बेचने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जवाब दें : महामहिम राष्ट्रपति के मंच पर मौजूदगी के बाद भी लालू जैसे आपराधिक, तड़ीपार राजनैतिक मुजरिम ने कब्रिस्तान-श्मशान जैसे राजनैतिक नारे क्यों लगाये?
काम करो, राजनीति करनी मत सिखाओ. राजनीति उन्हें बेहतर करनी आती है जिनके सामने आप राजनीतिक जमीन पर अस्तित्व के पानी भर रहे हो. गांधी को लालू जैसे चारा-मिट्टी चोर की एमआरपी पर मत बेचो.
अभिनंदन गृहमंत्री जी आपका, जो आप तय कार्यक्रम के बाद भी एक राजनैतिक नारेबाजी के मंच पर एक अभियुक्त, सजायाफ्ता, चुनाव लड़ने से तड़ीपार लोकतंत्र के मुजरिम के साथ मंच पर नहीं थे.
धन्यवाद भाजपा-एनडीए के सभी नेताओं को जिन्होंने आमंत्रण के बाद भी गांधी के नाम पर राजनैतिक गिरोहबाजी का बहिष्कार किया.
महामहिम राष्ट्रपति जी की मौजूदगी में मंच से राजनैतिक नारेबाजी के जिम्मेदार लालू और नीतीश देश से माफ़ी मांगें और घुटनों के बल बैठ के देश से माफ़ी मिलने की प्रतीक्षा करें. गांधी के नाम पर यह नैतिक-व्यवहारिक अपराध माफ़ी के काबिल नहीं.
कहाँ गया अब बिहारी सम्मान, अस्मिता… गांधी के नाम पर… भारत के राष्ट्रपति की मौजूदगी में… एक अपराधी ने बेच खाया.
बिहारियों! कब तक यूँ सस्ते में अनैतिक भूजे और राजनैतिक सत्तू की कीमत पर बिकेंगे आप? इस पर तथाकथित प्रचंड बिहारी सम्मान और अस्मिता लड़ाओ!
सबसे पहले तो यह महामहिम को देखना चाहिए था.
लालू के साथ मंच पर आना राष्ट्रपति को शोभा देता है?
गृहमंत्री ने मर्यादा रखी, इसके लिए उन्हें साधुवाद!