कैराना में कोई धारा 370 नहीं है, ना पश्चिमी बंगाल में, ना केरल में, ना असम के सीमांत जिलों में, ना दिल्ली की विकासपुरी में, फिर भी अन्य क्षेत्रों के हिंदू न केवल वहाँ जाकर बस नहीं रहे हैं, बल्कि वहाँ बसे हिंदू अपना सब छोड़कर भाग रहे है.
हम हिंदू धारा 370 के बुर्क़े में अपनी कायरता ढँकना बंद करें, कश्मीर की समस्या धारा 370 नहीं है बल्कि जेहादी इस्लाम है, या ये कहें कि कश्मीर की समस्या हम हिंदुओं द्वारा सच जानने और मानने व आवश्यक क़दम उठाने से इंकार करना है.
वह दुर्भाग्यशाली सैनिक जो उन कुत्तों के लात-थप्पड़ खाकर भी सिर झुकाए चला जा रहा है, वह न केवल हिंदू समाज का, बल्कि एक पूरी सभ्यता का प्रतीक है, जीता जागता, हाड़ माँस का प्रतीक.
वह शांत है क्यूँकि प्रतिक्रिया करेगा तो गिरफ़्तार हो जाएगा, नौकरी खोएगा, बर्बाद हो जाएगा, उसके बजाय, कुछ मिनटों का अपमान उसने सहन करना ज़्यादा उचित समझा.
ये कहानी हर हिंदू की है. मुस्लिम मुहल्ले से लगे घरों में रह रहे हिंदू व उनकी बेटियाँ रोज़ उस सैनिक जैसा अपमान सहते है. बाक़ी हिंदू या तो मुँह फेर लेते हैं, या हँसते हैं.
हिंदू नेतृत्व उन हिंदुओं से यही कहता है कि चुपचाप सह लो वरना शांति भंग हो जाएगी, खाड़ी देश तेल देना बंद कर देंगे. सौ साल पहले तो तेल का चक्कर नहीं था, तब क्या था? इजरायल कहाँ से तेल लाता है?
ये तेल, ये धारा 370, ये पत्रकार, ये deep state, सब बुर्क़े हैं, जिनमें हम हिंदू अपनी कायरता नहीं, मूर्खता ढँकते है…
मूर्खता, न कि कायरता, क्यूँकि जो लोग अपने ही घर में एक लड़की को ज़िन्दा जला देते है, या गर्भ में मार डालते है, कायर तो नहीं है.
इसलिए धारा 370 का आलाप बंद करे और सोचें कि दहेज कैसे बंद किया जाए, ग़रीब को कैसे समझाए कि क़र्ज़ा न ले व शराब ना पिए.
और अपने आप से पूछें कि आख़िरी बार कब स्कूल के हेडमास्टर से पूछा था कि शिक्षक क्यूँ कक्षा में नहीं आते व क्यूँ नहीं पढ़ाते, कश्मीर अपने आप बच जाएगा, अपने नज़दीकी हिंदू ग़रीब को बचा लें बस, कश्मीर अपने आप बच जाएगा.
सरकारी चपरासी की नौकरी के लिए अपनी जाति के वोट बैंक मैनेजर को वोट देना बंद कर दे, कश्मीर बच जाएगा. मुफ़्त पानी-बिजली के लिए ठगों को वोट देना बंद कर दे, कश्मीर बच जाएगा.