रक्तबीज का नाम सुना है? जरूर सुना होगा. क्या चरित्र निर्माण किया हमारे पूर्वजो ने. जो आज भी प्रासंगिक है. इसकी कहानी में एक पूरा सन्देश है. बशर्ते हम समझना चाहें.
रक्तबीज एक ऐसा शक्तिशाली राक्षस था, जिसके शरीर से खून की एक-एक बूँद गिरने पर उतने ही समरूप राक्षस (क्लोन) पैदा हो जाते थे.
समझा जा सकता है कि उस से लड़ना कितना खतरनाक रहा होगा. मारने के लिए तलवार, भाले, बरछे से प्रहार करो, काटो तो उसके रक्त की एक-एक बूँद गिरने से सैकड़ों, हजारों, लाखों, करोड़ों राक्षस पैदा हो जाते.
यह कल्पना ही आश्चर्य, आशंका एवं भय पैदा कर देती है. इससे भी बड़ी मुसीबत यह की उसे मारने के प्रयास न हों तो वह लगातार हजारों को खुद मारता रहे और अपना वंश तेजी से बढ़ाता रहे.
मतलब मारो तो परेशानी, न मारो तो और अधिक परेशानी. अब इसका इलाज हमारे धर्म ग्रंथों में दिया गया है जिसे प्रतीक के माध्यम से समझा जा सकता है.
लेकिन हम तो पश्चिम से ज्ञान लेने के चक्कर में हैं, जिनके पास अपना ऐसा कोई सनातन ज्ञान नहीं.
उसी पश्चिम के नए रिंग लीडर ने कल रात बम गिरा दिया. सुना है बहुत बड़ा है, मदर ऑफ़ ऑल बम. मगर क्या इससे आतंक का खात्मा होगा? नहीं.
बम इंसान को मार सकता है, विचारधारा को नहीं. तो क्या ट्रम्प इस बात को नहीं जानते होंगे? पता नहीं. मगर वो जाने-अनजाने और रक्तबीज पैदा करवा रहे हैं.
हो सकता है वो इसके द्वारा अपने अधिक से अधिक बम बेचने के चक्कर में हों. क्या करें वो बाजार में पले बढे हैं और बाजार के लिए काम करते रहे हैं.
लेकिन वो शायद यह नहीं जानते कि यह रक्तबीज किसी को नहीं छोड़ता और कब उनके बाजार में घुस कर तबाही मचाएगा कोई नहीं जानता.
रक्तबीज से लड़ना किसी व्यापारी या राजनेता का काम नहीं, उसके लिए महाकाली का रूप धारण करना पड़ता है और रक्तबीज को पैदा होने से पहले खत्म करना पड़ता है. दुनिया बेसब्री से इस इन्तजार में है कि कौन महाकाली का रूप धारण करेगा.