कुछ दिनों से एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कुछ कश्मीरी नौजवान crpf के जवानों पर उस वक्त लात मुक्के चलाते नजर आ रहे हैं जब वे श्रीनगर के बड़गाम से उप चुनाव की समाप्ति के बाद evm लेकर लौट रहे थे.
इस वीडियो को देखने के बाद देश के तमाम लोग आक्रोशित हो गए और सोशल मीडिया में तो यह मुद्दा कुछ यूँ छाया कि कुछ लोग जवानों और सरकार को कोसते दिखे, तो कुछ उन कश्मीरी लड़कों के प्रति रोष जताते दिखे.
कुछ ने तो यहाँ तक लिखा कि हथियार होते हुए हमारे जवान लात घूंसे क्यों खा रहे थे? उन युवकों को सबक सिखाया जाना चाहिए था.
पर, मैं इस घटना से आक्रोशित नहीं हूँ. इतना ही नहीं, मैं तो शुक्रगुजार हूँ उपर वाले का कि यह वीडियो जाने-अनजाने में ही सही, वायरल तो हुआ… और ना सिर्फ देश की मीडिया में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में भी चर्चा का विषय बना.
क्या आपको पता है कि इस वीडियो ने किस प्रकार से पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा, जो भारतीय जवानों को लेकर किया जा रहा था, उसकी कमर तोड़ दी है.
सालों से पाकिस्तान द्वारा प्रचारित किया जाता रहा है कि भारतीय सेना के जवान कश्मीरी नौजवानों को देखते ही गोलियों से उड़ा देते हैं… उसके इस झूठ का पर्दाफाश हो चुका है.
आप अपना ज्यादा दिमाग ना लगाकर भारतीय एजेंसियों द्वारा इस मामले में बरती गई चुप्पी को आप समझें. राजनीति, विदेश नीति, कूटनीति और सैन्य नीति में क्षणिक आवेश का कोई स्थान नहीं होता है.
जो घटना इस वीडियो में दिखी है, यदि उसके उलट होती… यानी कि उस जवान ने अपने हथियार से चार-छः को ढेर कर दिया होता तो क्या होता?
कुछ अंदाजा तो आप भी लगा ही सकते हैं कि इस घटना पर होने वाली चर्चा का रूख क्या होता? राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में भारत सरकार की क्या छवि बनती?
जनाब, सिर्फ आप ही नहीं बल्कि पाकिस्तान भी आक्रोशित है कि क्यों नहीं जवानों ने वहाँ लाशें बिछाई? उसे कितनी बड़ी संजीवनी मिल जाती क्या आपको कुछ अंदाजा है?
इस वक्त पाकिस्तान की कूटनीति और कश्मीर नीति अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है.
पिछले साल विधानसभा के सफल चुनाव हों या बुरहान की मौत के बाद की स्थिति हो या सर्जिकल स्ट्राईक की कामयाबी हो या अलगाववादियों से बात ना करने का मोदी का फैसला हो, इन सभी बातों से वह बैकफुट पर आ गया है.
और अब तो कुलभूषण को फाँसी की सज़ा सुना कर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में भारत को घेरने के प्रयास में वो खुद ही बुरी तरह से घिर चुका है.
कुलभूषण की फाँसी का आधार मात्र एक वीडियो है जिसे दर्जनों बार काट-छाँट करने के बाद तैयार किया गया है… जिसमें उसने स्वीकार किया था कि वो रॉ का एजेंट है.
अब यह बात जब उसके देश के लोगों को ही नहीं पच रही है तो दूसरे लोग इस पर कैसे यकीन करेंगे?
फाँसी वहाँ पहले भी दी गई थी पर पाकिस्तानी मीडिया अपनी सरकार के इस फैसले को अभूतपूर्व मान रही है और फाँसी देने के दुष्परिणामों से देश को आगाह भी कर रही है.
वहाँ के दैनिक ‘द नेशन’ ने अपने फ्रंट पेज पर हेडलाइन लिकही कि Death of spy spikes tension (जासूस की सजा-ए-मौत, बढ़ा रही है तनाव), वहीं ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ लिखता है कि Self confessed Indian spy awarded death sentence.
यहाँ self confession के आधार पर मौत की सजा की बात किसे समझ में नहीं आ रही है? यहाँ तक कि पीपीपी के नेता बिलावल भुट्टो ने भी इस फाँसी की निंदा की है.
देखिए, पाकिस्तान इस वक्त आतंकवाद के मुद्दे पर पूरी तरह से failed स्टेट बन चुका है… अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में अलग थलग पड़ चुका है…
मात्र एक चीन है जो अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए उसके सही-गलत निर्णयों में साथ दे रहा है… पर चौकन्ना वह भी है.
अन्य सारे देश ये मान चुके हैं कि आतंकवाद की जड़ पाकिस्तान में ही है जिसे वहाँ की कई एजेंसियों का संरक्षण प्राप्त है.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की इससे बुरी हालत पहले कभी नहीं थी, वहाँ की मीडिया में ऐसी खबर भी आई थी कि ऐसे हालत में शायद यह हमेशा के लिए विदेश भाग सकते हैं.
नवाज़ शरीफ की इस हालत के लिए ना सिर्फ उनका भ्रष्टाचार और उनकी अक्षमता जिम्मेदार है बल्कि इसमें मोदी का भी बड़ा हाथ है.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोदी की बढ़ती ताकत और कूटनीतिक दूरदर्शिता के सामने नवाज़ शरीफ लगातार बौने होते जा रहे हैं… उनकी तुलना मोदी से जब होती है तो पाकिस्तानी अपना सिर धुनते हैं.
ऐसे में इतिहास गवाह रहा है कि जब भी कोई पाकिस्तानी शासक बुरे दौर से गुजरा है तो उसके लिए अपने लोगों का ध्यान हटाने के लिए भारत से पंगा लेना और कश्मीर राग अलापना ही एकमात्र सहारा रहा है.
आपको अपने जवानों के शौर्य पर गर्व होना चाहिए… उनके धैर्य पर गुमान होना चाहिए… उनकी सहनशीलता की प्रशंसा करनी चाहिए.
हमारे जवान पाकिस्तान से अब तक कोई युद्ध नहीं हारे हैं, ना ही भविष्य में हारेंगे. बर्मा और पीओके में घुस कर दुश्मनों को नेस्तनाबूद करने वाले हमारे जवानों की रणनीति संदेह से परे है.
इसलिए इस वीडियो को देखकर आक्रोशित होने के बजाय इसके सकारात्मक पहलू पर विचार करें और इस बात की खुशी मनाएँ कि पाकिस्तान को एक और मुद्दा नहीं मिल पाया भारत को घेरने के लिए.