कहते हैं यदि कृष्ण को पाना हो तो राधा को पुकारो… कृष्ण दौड़े चले आएँगे..
वैसे ही यदि हनुमान का आशीर्वाद चाहिए तो राम को पुकारो… आपके राममय होते ही आप हनुमान तत्व के चमत्कारी आभामंडल से घिर जाओगे…
लोग भय में अक्सर हनुमान चालीसा पढ़ते हुए नज़र आते हैं… लेकिन यदि आप हमेशा भयमुक्त रहना चाहते हैं तो राम का जप करते रहिये… हनुमान वहीं मिलेंगे जहां कोई राममय होगा… तभी तो कहते हैं तुलसीदास जब रामचरित मानस पढ़ते थे तो स्वयं हनुमान सुनने आते थे…
अब मुझे तो ना हनुमान चालीसा आती है ना रामायण या रामचरित मानस का कोई मंत्र, दोहा या श्लोक… लेकिन फिर भी बजरंगबली ने ही मुझे आमिष से निरामिष बनाया… तो यह चमत्कार घटित हुआ था आध्यात्मिक गुरु दिनेश कुमार की बताई ध्यान विधि से जिसमें आँखें बंद कर गहरी सांस लेते हुए हनुमान तत्व का आह्वान करते हुए उसे ह्रदय कुण्ड में एकत्रित करना होता है… फिर आप कहीं भी जाएं कुछ भी करें… हनुमान सदैव आपकी रक्षा करते हैं…
ऐसी ही घटना मेरे साथ तब हुई जब एक दिन पड़ोस में सुन्दर काण्ड का पाठ रखा गया था और मुझे सुनने के लिए बुलाया गया था…
सभी आमंत्रितों को एक एक प्रति सुन्दर काण्ड की पकड़ा दी गयी थी साथ गाने के लिए…
अब बाकी लोग तो बिना देखे ही बहुत अच्छे से साथ साथ गा रहे थे… और मैं हाथ में किताब पकड़े पहली बार सुन्दर काण्ड को उस पत्रिका से पढ़ने की कोशश कर रही थी…
अचानक से न जाने क्या हुआ एक दो पंक्तियाँ पढ़ने के साथ ही गला भर आया और आँखों से अश्रु धारा बह निकली…
ना मैं कोई मंत्र जानती हूँ ना कोई श्लोक… लेकिन ह्रदय का भाव और हनुमान तत्व की मात्र उपस्थिति से मैं इतना अधिक अहोभाव से भर गयी थी कि लगा जैसे इससे सुन्दर कोई और पल हो ही नहीं सकता…
मोरारी बापू अक्सर एक बात कहते हैं… परमात्मा को कहीं खोजना नहीं है, कहीं से पाना नहीं है… वो तो हमेशा से ही प्राप्त है… बस हम उसे देख नहीं पाते…
मैं ये नहीं कहती मंत्र, दोहे, श्लोक जानने और बोलने वालों की मेहनत व्यर्थ है… लेकिन केवल रट लेने से ही तो कुछ नहीं होता ना… यदि वो भाव ही उत्पन्न नहीं हो पाया तो आप जीवन भर पूजा पाठ करते रहिये… जीवन भर कर्म काण्ड करते रहिये… कुछ नहीं होगा…
आप जीवन भर परमात्मा के चरणों में शीश नवाते रहिये… लेकिन यदि आपके हाथ करुणा और प्रेम से किसी के लिए आशीर्वाद स्वरूप नहीं उठते तो आपका झुकना व्यर्थ है… आपकी पूजा व्यर्थ है…
और आप एक बच्चे की तरह निश्छल होकर तुतली भाषा में भी हनुमान चालीसा पढ़ जाइये… चमत्कार आपकी आँखों के सामने घटित होगा.. ऐसा मैं इसलिए कह रही हूँ… क्योंकि कुछ दिनों पहले मैंने ये चमत्कार अपनी आँखों के सामने घटित होते देखा…
दोनों सुपुत्र हनुमान चालीसा गा रहे थे और दोनों की फरमाइश की हमारा वीडियो लिया जाए…
बस फिर क्या था दोनों का बारी बारी से वीडियो लेना प्रारम्भ किया.. पहले छोटे सुपुत्र गीत बाबू का लिया जो गाते हुए पूरे समय शरारत करते रहे… दूसरा बड़े सुपुत्र ज्योतिर्मय का लिया… जिसे सामने खड़े गीत बाबू हंसाने की कोशिश करते रहे … कुछ देर हँसते रहने के बाद वो अचानक से गंभीर हो गए.. इस बीच एक प्रकाशपुंज मुझे कैमरे से अचानक गुज़रता हुआ दिखा… मुझे लगा लाइट का इफ़ेक्ट होगा…
ये चेक करने के लिए मैंने दोबारा से गीत बाबू और ज्योतिर्मय का वीडियो बनाया लेकिन फिर वही घटना दोबारा घटित हुई गीत बाबू के वीडियो में कुछ नहीं दिखा और बड़े सुपुत्र ज्योतिर्मय के वीडियो में फिर वही प्रकाशपुंज..
जब मैं तीसरी बार इसे कन्फर्म करने के लिए वीडियो लेने लगी तो स्वामी ध्यान विनय ने यह कहते हुए रोक दिया – अस्तित्व की जादुई कृपा का परीक्षण नहीं किया करते….
ज्योतिर्मय के मुंह से कई बार हमने बहुत चमत्कारी बातें सुनी है जिससे ये तो समझ आ गया है कि किसी योगी ने मेरी कोख को सार्थक किया है… लेकिन आज सुबह का दोनों भाइयों का वार्तालाप सुनकर मैं एक बार फिर अचंभित हुई…
ज्योतिर्मय उवाच – चिकी (गीत बाबू का घर का नाम) पता है मैं यदि थोड़ी थोड़ी बातें बोलता रहूँगा तो तुम्हारे दिमाग की मेमोरी में स्टोर हो जाएगी… लेकिन मैं बहुत सारी बातें एक साथ बोल दूंगा तो तुम्हारी मेमोरी कंफ्यूज हो जाएगी…. और वैसे भी हम जब कोई एक काम कर रहे होते हैं तो उसी पर पूरा ध्यान लगाना चाहिए. वो काम करते करते किसी और काम को याद करने लगोगे तो तुम्हारा कोई काम पूरा नहीं होगा… और तुम फिर कन्फ्यूज़… हा हा हा…
ज्योतिर्मय की वो निश्छल हंसी और उपरोक्त बात के पीछे इतना बड़ा सन्देश छुपा था कि वो आज लेख लिखते समय मुझे प्रेरणा दे गया कि बस ‘राम’ पर ‘ध्यान’ केन्द्रित करो, बस राम जपते रहो तो हनुमान स्वयं चले आएँगे…
और वैसे भी इस बार की हनुमान जयंती का तो विशेष महत्त्व है, पूर्णिमा और मंगलवार एक साथ होना. दूसरा करीब 120 साल बाद ऐसे संयोग बन रहे हैं कि इस बार हनुमान जयंती पर त्रेतायुग जैसे ही नक्षत्र विद्यमान हैं. जैसे शास्त्रों मे हनुमान जी के जन्म के समय बताए गए हैं, तिथि, वार और नक्षत्र के लिहाज से वैसे ही संयोग 11 april हनुमान जयंती पर विद्यमान हैं.
ऐसे अवसर बार बार नहीं आते… जो लोग मुझसे अक्सर ध्यान की विधियां पूछते हैं उनसे यही कहूंगी राममय हो जाइए, आपके राममय होते ही आप घिर जाओगे हनुमान तत्व के चमत्कारी आभामंडल से.