बहुसंख्यकों की भावनाएं दबाई जाती रहीं तो आम होंगे ऐसे काण्ड

इस दुनिया में बहुत कुछ ऐसा है जिसे देखकर आप दुखी होते हैं…. बहुत कुछ ऐसा घटित होता है जिसे घटित होते देखने की आपकी इच्छा नहीं होती…

कई चीज़ें देश-दुनिया में ऐसी होती हैं जो आपको बेचैन कर देती हैं… आपको लगता है आखिर दुनिया ऐसी क्यों है? आपको खुद पे भी गुस्सा आता है, अपनी कमजोरी पर गुस्सा आता है कि आप ऐसी गलत और अनैतिक चीजों को होते देख रहे हैं लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे….

जैसे अक्सर आप गो हत्या के बारे में सुनते हैं, देखते हैं… शहर में कसाई की दुकानों पर कटने के लिए खड़े निरीह पशुओं को देखते हैं…. उनकी आँखों में अपनी मौत का खौफ देखते हैं.

आप जानते हैं कि ये गलत है लेकिन इसी दुनिया में एक बड़ा वर्ग है जो खुल के गो हत्या और पशु हत्या के समर्थन में खड़ा मिलेगा…. आप की आवाज नक्कार खाने में तूती की आवाज होगी…

आपको कितना गुस्सा आता है कश्मीर के पत्थरबाजों को देखकर… लेकिन उससे भी ज्यादा आपका ब्लड प्रेशर तब बढ़ जाता है जब हमारे जवानों के ऊपर पत्थर चलाने वालों के समर्थन में कई फ़िल्मी हस्तियाँ, नेता और पत्रकार उठ खड़े होते हैं…

विश्वविद्यालयों में इन पत्थरबाजों को आजादी का नायक करार दिया जाता है…. लेकिन इन सबसे ज्यादा निराशाजनक परिस्थिति तब होती है जब आप चाहते हुए भी देश के लिए कुछ नहीं कर पाते…

रात में रिमोट लिए टीवी के सामने जब न्यूज़ चैनल में होने वाली डिबेट का टॉपिक आप सुनते हैं तो आपका खून खौलने लगता है… टॉपिक होता है कि क्या वन्दे मातरम भारत में अनिवार्य किया जाना चाहिए?

आप न्यूज़ चैनल बदलते हैं तो एक दूसरे चैनल पर तीन तलाक पर बहस होती दिखती है… तीसरे चैनल पर बहस होती है कि क्या बीफ भारत में बैन होना चाहिए? चौथे चैनल पर बहस होती है कि क्या राम मंदिर वहीं बनना चाहिए?

इन वाहियात मुद्दों से आपका मन खीज जाता है, तब आप फेसबुक पर आकर एक पोस्ट लिखकर अपने मन की भड़ास निकाल लेते हैं… इसके बाद आप अकेले सोचते हैं कि अगर मैं प्रधानमंत्री होता तो अब तक सबको ठीक कर देता….

थक हार कर आप रात में 11 बजे बिस्तर पर आ जाते हैं और देश-दुनिया की बात सोचते-सोचते सो जाते हैं….

सुबह आप बेमन से ऑफिस जाते हैं क्योंकि आप चाहते हैं कि आपका अपना कोई बिजनेस हो लेकिन कोई आपको लोन नहीं देता या फिर आप आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है कोई व्यवसाय करने के लिए…

आप बेमन से ऑफिस पहुचते हैं… रास्ते भर अपने और देश के भविष्य को लेकर चिंतित भी रहते हैं…. तभी रास्ते में भीषण जाम और धुएं से आपका सामना होता है… रोड की खस्ता हालत देखकर आपको लगता है कि साला अपना देश कभी आगे नहीं बढ़ पायेगा….

ऑफिस पहुंचने पर ऑफ सीजन में भी आपको कम्पनी द्वारा टार्गेट दिया जाता है.. और आप सौ-सौ गाली कम्पनी को देते हुए फील्ड में निकल जाते हैं… थक हार कर शाम को घर के लिए निकलते हैं….

तभी घर से फ़ोन आता है कि फलां-फलां सामान लेकर आना है… और देश-दुनिया राष्ट्रवाद और सेकुलरिज्म पर चिंतन करने वाले युवा के हाथ में सब्जी का थैला होता है….

वो निराश भाव से लेकिन हार ना मानने वाली मुद्रा में घर पहुचता है… और न्यूज़ चैनल पर रात में फिर वही सब कुछ देखता है जो वो रोज़ देखता है… वही असहिष्णुता… वही गो हत्या… वही हिंदुओं का पलायन और सेकुलरवादी दलों का डिबेट में निर्लज्जता के साथ मुसलमानों का बचाव करना और हिन्दू समाज को ही असहिष्णु बताना…

वो युवा आज फिर से हताश होकर बैठ जाता है… कारण वही है… इच्छा बहुत कुछ करने की है लेकिन समय, काल, परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं…. पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियां हमें पंगु बना देती है…

मन में बहुत गुस्सा है… लेकिन हम अपनी भड़ास कहीं नहीं निकाल पाते… ऐसे में अगर कहीं सड़क पर आप जा रहे हैं और पता चल गया कि कोई गो तस्कर पकड़ा गया है और पब्लिक ने पकड़ा है…

ये सुनते ही आपका पारा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है और आप जैसे पचासों युवा मिलकर अलवर जैसा काण्ड कर देते हैं… अब इन्हें आप कथित गो रक्षक कहें या फिर नव हिन्दू राष्ट्रवादी….

1000 साल तक दबाई गयी भावनाएं जब आजाद होती है तो अलवर जैसा काण्ड होता है…. और अगर ऐसे ही हमारी भावनाओं को दबाया जाता रहा तो याद रखियेगा देश में हर रोज़ सैकड़ों अलवर जैसे काण्ड होंगे….

या तो सुधर जाओ नहीं तो दादरी और अलवर जैसी घटनाएं हिन्दुस्तान में आम हो जायेंगी… फैसला आपके हाथ में है.

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