मर्दानगी के प्रदर्शन पर करारा तमाचा है ‘पेनिस सीट’

महिलाओं पर हो रहे यौन शोषण के प्रति जागरुकता फैलाने के यूनाइटेड नेशन की एक संस्था “यूएन विमेन” ने मेक्सिको में एक अनूठा प्रयोग शुरू किया है.

मैक्सिको सरकार के सहयोग से संस्था ने वहां के मेट्रो में पुरुषों के लिए एक खास तरह की सीट बनवाई है. यह सीट खास इसलिए है क्योंकि  इनका आकार पुरुषों के शरीर जैसा है जिसपर छाती, जांघ और पेनिस साफ देखा जा सकता है.

इन सीटों को ‘पेनिस सीट’ का नाम दिया गया है.  जाहिर है सामान्य सीटों के साथ लगी इस सीट पर बैठना तो क्या इसे कोई देखना भी पसंद नहीं करेगा.

ये सीट मर्दों के लिए आरक्षित हैं ताकि वे इस पर बैठ कर महसूस कर सकें कि जब एक महिला को वे खुलेआम सेक्सुअली हैरेस करते हैं तो महिलाओं को कैसा महसूस होता होगा.

वहां लिखा भी हुआ है कि, ‘यहां बैठना असुविधाजनक है, लेकिन ये उस यौन शोषण की तुलना में कुछ भी नहीं जो महिलाएं हर रोज झेलती हैं’.

मैक्सिको की मेट्रो ट्रेनों में जब ये नई सीट दिखाई दी तो उसे देखते ही लोगों के मुंह बन गए. इन सीटों को अनुचित, असुविधाजनक, अपमानजनक और शर्मनाक बताया गया.

और यही वहां की सरकार चाहती थी ताकि मर्द उतना ही असहज महसूस कर सकें जितना महिलाएं सफर में छेड़छाड़ के दौरान महसूस करती हैं.

एक आंकड़े के मुताबिक मेक्सिको में 65% महिलाएं सफर के दौरान यौन शोषण की शिकार होती हैं. मैक्सिको सिटी में हर 10 में से 9 महिलाएं किसी न किसी तरीके से यौन उत्पीड़न झेलती हैं.

अस्थायी तौर पर बनायी गयी ये सीटें एक कैंपेन #NoEsDeHombres का हिस्सा हैं, जिसका मकसद सार्वजनिक परिवहन में हो रहे यौन शोषण की ओर लोगों का ध्यान खींचना है.

और इस एक्सपेरिमेंट का मकसद सिर्फ ये है कि हर पुरुष भी वैसा ही महसूस करके देखे, जैसा महिलाएं रोजाना सफर के दौरान करती हैं.

इस एक्सपेरिमेंट पर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कोई इसे सेक्सिस्ट कह रहा है तो कोई पुरुषों के प्रति अन्यायपूर्ण, तो कोई इस अभियान की तारीफ कर रहा है.

इसी अभियान के तहत एक और एक्सपेरिमेंट ‘Pants Experiment’ भी चलाया जा रहा है. इसमें प्लेटफॉर्म पर खड़े पुरुषों के शरीर के पिछले हिस्से यानि ‘बम’ को वहां लगे टीवी स्क्रीन पर दिखाया जाता है जिससे मर्दों को उतनी ही असहजता महसूस हो, जैसा महिलाओं को होता है.

ऐसे प्रयोग भले ही अजीब, असहज हों लेकिन अपने मकसद में पूरी तरह से सफल होते हैं. क्योंकि शर्मिंदगी उठाना सिर्फ महिलाओं के हिस्से में नहीं होना चाहिए. हर मर्द को एक बार इस दर्द का एहसास जरूर करना चाहिए.

भारत जैसे देश में भी बड़े पैमाने पर ऐसे प्रयोग होने चाहिए. यहां भी हर 5 में से 4 महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर यौन शोषण का शिकार होती हैं, जिसमें घूरना, सीटी मारना, पीछे से पकड़ना, फब्तियां कसना, अश्लील इशारे करना शामिल हैं.

ऐसे प्रयोग इसलिए भी जरूरी हैं ताकि मर्दों को यह समझ आ सके कि जिसे वे मर्दानगी समझते हैं, वो एक लड़की के लिए किसी बुरे सपने जैसा होता है.

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