फरज़ाना बिटिया आज बोली : अंकल! अम्मी ने पुछवाया है कि तीन तलाक… जुबानी के साथ फोन, मैसेज, व्हाट्सऐप, ईमेल, पोस्टकॉर्ड पे दिए जा रहे हैं तो… ये प्राचीन शरीयत का हिस्सा कैसे हो गया? इसमें दखल, शरीयत में दखल कैसे?
क्या मुहम्मद साहब… आईफोन रखते थे? उनके पास एसएमएस पैक था? वो किस नंबर पे व्हाट्सऐप पर थे? उनकी मेल आईडी? उनका लोकल पोस्ट ऑफिस? उनके टाइम पोस्टकॉर्ड कितने का आता था?
अंकल! कुरान में ये वहशी और जल्लादी रवायत उर्फ तीन तलाक कहीं नहीं है. ये सब अब्बा लोगों ने… चलन के मुताबिक अम्मी लोगों पर… जैसे खाना में नमक स्वादानुसार… वैसे ही जनाना में नियम सुविधानुसार का मामला बनाया हुआ है.
इट्स ऑल मॉडर्न एंड क्रूअल अंकल, नो वेयर शरीयत इज़ इन्वाल्व्ड इन इट…. ऐज़ शरीयत इज़ द हिस्सा एंड किस्सा ऑफ़ पाक कुरान, द ओरिजन ऑफ़ यूनिवर्स.
अंकल! अब्बू को समझाइये न!
बरास्ता फरज़ाना बिटिया.. भाभीजान को क्या जवाब दूँ?
फरज़ाना! लव यू बेटू, अपनी अम्मी और मेरी भाभीजान को आदाब कहना.