गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान सद्भावना उपवास कार्यक्रम में एक मौलाना ने जब मोदी को टोपी पहनाने की कोशिश की थी तो बहुत ही शालीन तरीके से मोदी ने टोपी पहनने से इंकार कर दिया था.इसके बाद तो जैसे देश के समस्त बुद्धिजीवियों का सेक्यूलरिज्म खतरे में आ गया था.
पता नहीं कौन-कौन सी उपाधियों से नवाजते हुये समूचे सेक्यूलर बिरादरी ने मोदी को कम्युनेलिज्म का झंडाबरदार घोषित कर दिया था. इस पूरे विवाद पर मोदी ने बस इतनी ही प्रतिक्रिया दी थी कि टोपी पहनकर कोई सेक्युलर नहीं होता बल्कि वह सिर्फ इसका दिखावा करता है.
बहरहाल कल शाम को आज तक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव त्यागी जी का सेक्युलेरिज्म उबाल मार गया. इसी उबाल के कारण वह लगभग चिल्लाते हुये अपने बगल में बैठे गरीब नवाज फांउडेशन के अंसार रजा की ओर मुखातिब होते हुये बोल पड़े कि “असली सेक्युलेरिज्म क्या होता है, मैं दिखाता हूं. मैं बोल रहा हूं अल्लाह-हू-अकबर, अंसार रजा साहब अब आप भी जय श्री राम बोल कर दिखा दीजिये इन्हें सेक्युलेरिज्म”
इतना कह कर वह अंसार रजा साहब का हाथ उठाकर उन्हें उठाने की कोशिश भी करने लगे और बार-बार कहते जा रहे थे कि बोल दीजिये रजा साहब जय श्री राम. लेकिन इस पूरे वाकये के दौरान अंसार रजा टस से मस नहीं हुये.
अब सोचने वाली बात है कि यहां पर कौन सेक्युलर है और कौन कम्युनल, इस बात का फैसला नारे लगाकर किया जायेगा? ठीक वैसे ही जैसे कुछ साल पहले टोपी पहनाने की कोशिश करके मोदी का सेक्युलेरिज्म नापा जा रहा था.
इस पूरे मामले में मैं अंसार रजा के कृत्य का समर्थन करता हूं. उन्होंने अपने को सेक्युलेरिज्म साबित करने के लिये जय श्री राम नहीं बोला. उनकी पूजा पद्धति शायद उन्हें इस बात की इजाजत भी नहीं देती. लेकिन राजीव त्यागी जी को क्या हो गया था कि वह अल्लाह-हू-अकबर का नारा लगाने लगे?
क्या राजीव त्यागी के सेक्युलेरिज्म को ढकोसला न समझा जाय जिसके प्रदर्शन के लिये उन्हें अल्लाह-हू- अकबर बोलकर चिल्लाना पड़ता है?
क्या इस पूरे वाकये से राजीव त्यागी सहित समूचे तथाकथित सेक्युलेरिज्म के झंडाबरदार कोई सबक लेंगे? क्योंकि अल्लाह-हू-अकबर के समर्थन में जय श्री राम का नारा न लगाकर अंसार रजा ने इन सभी सेक्युलेरपंतियों के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है, तो इसकी गूंज तो उन्हें सुननी ही चाहिये.